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Voter list संशोधन पर नारा लोकेश का बयान: विपक्ष की बढ़ती चिंताएँ
चंद्रबाबू नायडू के बेटे और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के एक प्रमुख नेता नारा लोकेश ने एक अहम बयान दिया है। उनका मानना है कि चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में संशोधन करना अनुचित है। यह बात कई अन्य विपक्षी दलों से भी मेल खाती है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं ने भी इसी तरह की चिंता जताई है। उनका मानना है कि चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में बदलाव करने से समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
इन संशोधनों का समय एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। विपक्षी समूहों का तर्क है कि मतदान से ठीक पहले ऐसा करने से अनुचित व्यवहार को बढ़ावा मिल सकता है। इससे योग्य मतदाता भी मतदान करने से वंचित हो सकते हैं।
मतदाता सूची संशोधन पर नारा लोकेश का बयान
लोकेश का मुख्य मुद्दा स्पष्ट है: मतदाता सूची में संशोधन चुनाव से ठीक पहले नहीं होना चाहिए। उनका मानना है कि यह समय गलत है। अगर ये संशोधन ज़रूरी हैं, तो उनका तर्क है कि इन्हें पर्याप्त समय से पहले किया जाना चाहिए। लोगों को उचित सूचना दी जानी चाहिए। इससे मतदाताओं को किसी भी गलती को सुधारने का मौका मिलता है।
वोट हटाने के आरोपों पर ध्यान देना
“वोट चोरी” के दावों के बारे में पूछे जाने पर, लोकेश ने स्वीकार किया कि मतदाता सूची से नाम हटाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी कागजी कार्रवाई या अन्य प्रशासनिक कारणों से ऐसा होता है। हालाँकि, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लोगों को पर्याप्त समय मिलना चाहिए। उन्हें यह बताने का मौका मिलना चाहिए कि उनका नाम क्यों हटाया गया। उन्हें गायब दस्तावेज़ भी जमा करने का अधिकार होना चाहिए।
विपक्ष की लगातार चिंताएँ
यह मुद्दा नया नहीं है। बिहार में विपक्ष ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में संशोधन का ज़ोरदार विरोध किया था। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव, दोनों ही इस पर मुखर रहे। राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। उन्होंने बिहार में इन संशोधनों से जुड़ी संभावित “वोट चोरी” की बात कही।
चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में टीडीपी की आलोचनाएँ
चंद्रबाबू नायडू का सरकार के फैसलों से असहमत होने का इतिहास रहा है। उन्होंने पहले भी कई मुद्दों पर आपत्तियाँ उठाई हैं। इनमें परिसीमन और भाषा नीति जैसे मामले शामिल हैं। उन्होंने ट्रंप की नीतियों से जुड़े टैरिफ़ पर भी टिप्पणी की थी। अब, उनके बेटे नारा लोकेश भी इसी तरह की असहमति जताते हुए मतदाता सूची संशोधन के समय पर सवाल उठा रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया। इसमें कहा गया है कि आधार कार्ड को चुनाव के लिए बारहवें दस्तावेज़ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह फैसला मतदाता सत्यापन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। इससे मतदाता सूची में त्रुटियों से जुड़ी कुछ चिंताओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।
राहुल गांधी का “मतदाता अधिकार अभियान”
राहुल गांधी मतदाता अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं। उन्होंने “मतदाता अधिकार मार्च” का आयोजन किया। इससे जानबूझकर नाम हटाए जाने का मुद्दा सार्वजनिक चर्चा में आया। गांधी अपना अभियान जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कथित “वोट चोरी” के बारे में चिंताओं को उजागर करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की हैं।