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Navneet Sehgal बनेंगे राज्यपाल? प्रसार भारती चेयरमैन पद से अचानक इस्तीफा
क्या प्रसार भारती के चेयरमैन और पूर्व आईएएस अधिकारी नवनीत कुमार सहगल (Navneet Sehgal) अब किसी राज्य के राज्यपाल नज़र आएंगे? उनका अचानक दिया गया इस्तीफा यही सवाल बार‑बार सामने ला रहा है। तीन साल के पूरे कार्यकाल से बहुत पहले कुर्सी छोड़ देना अपने आप में बड़ा संकेत माना जा रहा है, और राजनीतिक गलियारों में इसकी अलग-अलग तरह से व्याख्या हो रही है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा इस्तीफे को तुरंत स्वीकार कर लेना, फिर उन्हें औपचारिक तौर पर पद से मुक्त कर देना, इस चर्चा को और तेज कर देता है कि शायद अगला ठिकाना किसी और बड़ी जिम्मेदारी की ओर इशारा कर रहा है। खासकर तब, जब सूत्र साफ-साफ यह कह रहे हों कि उनकी प्रशासनिक योग्यता के आधार पर उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में अहम भूमिका या फिर किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है।
अब ज़रा विस्तार से समझते हैं कि यह इस्तीफा है क्या, इससे कौन‑कौन से संकेत मिलते हैं, और क्यों नवनीत सहगल का नाम संभावित राज्यपालों की सूची में जोर‑शोर से लिया जा रहा है।
प्रसार भारती चेयरमैन नवनीत कुमार सहगल का इस्तीफा: मुख्य तथ्य
सबसे पहले, इस्तीफे से जुड़े वे बुनियादी बिंदु समझ लेते हैं, जो अब तक साफ हैं।
- सहगल का कार्यकाल कुल 3 साल का तय था
- उन्होंने कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा दिया, लगभग डेढ़ साल के बाद
- इस्तीफा मंगलवार को सौंपा गया
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसे तुरंत स्वीकार किया
- मंत्रालय ने उन्हें चेयरमैन पद से औपचारिक रूप से पदमुक्त कर दिया
यह पूरा घटनाक्रम काफी कम शब्दों में हुआ, न किसी लंबे स्पष्टीकरण की जानकारी सामने आई, न कोई विस्तार से सार्वजनिक बयान। ऐसे में स्वाभाविक है कि राजनीतिक और मीडिया हलकों में कयास लगने शुरू हों कि क्या यह सिर्फ एक सामान्य इस्तीफा है, या फिर किसी बड़े पद के लिए रास्ता साफ करने की तैयारी।
इस्तीफे के समय को भी कई लोग अहम मान रहे हैं। जब किसी का कार्यकाल अभी काफी बचा हो और वह अचानक पद छोड़ दे, तो सामान्य समझ यही कहती है कि या तो कोई असहमति हुई है, या फिर अगली, ज्यादा अहम जिम्मेदारी के लिए रास्ता बनाया जा रहा है।
इस्तीफे से उपजी अटकलें: क्या है असली बात?
इस्तीफे के तुरंत बाद से सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि इसके पीछे असली वजह क्या है। आधिकारिक रूप से कोई वजह सामने नहीं आई, इसलिए चर्चा का केंद्र पूरी तरह से उन संकेतों और सूत्रों पर टिक गया है, जो यह कह रहे हैं कि मामला सामान्य नहीं है।
राज्यपाल बनने की चर्चा क्यों?
सूत्रों के मुताबिक नवनीत सहगल, जो एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं, उनकी प्रशासनिक योग्यता और प्रबंधन क्षमता को काफी ऊँचा माना जाता है। सरकारें प्रायः ऐसे ही अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद या किसी अन्य मोड़ पर संवैधानिक या उच्च जिम्मेदारियों वाली कुर्सियों पर देखना पसंद करती हैं।
सूत्र जो दो बड़े विकल्प गिना रहे हैं, वे हैं:
- प्रधानमंत्री कार्यालय में अहम जिम्मेदारी
- किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया जाना
भारत में राज्यपाल का पद केवल औपचारिक या प्रोटोकॉल वाला पद नहीं है, बल्कि यह केंद्र और राज्य के संबंधों का अहम हिस्सा माना जाता है। अक्सर अनुभवी नौकरशाह, न्यायाधीश या वरिष्ठ राजनेता इस पद पर भेजे जाते हैं, ताकि वे अपने अनुभव के आधार पर संवैधानिक दायरे में रहते हुए राज्य सरकारों और केंद्र के बीच संतुलन साध सकें।
इसी तरह, प्रधानमंत्री कार्यालय में कोई भी बड़ी जिम्मेदारी अपने आप में बेहद संवेदनशील और प्रभावशाली मानी जाती है। वहाँ वही अधिकारी भेजे जाते हैं जिन पर भरोसा, गोपनीयता और प्रशासनिक दक्षता, तीनों मामलों में मजबूत राय हो।
यही वजह है कि जब किसी पूर्व आईएएस अधिकारी का नाम एक साथ इन दोनों संभावित भूमिकाओं के संदर्भ में उछलने लगे, तो राजनीतिक चर्चा अपने आप तेज हो जाती है।
अटकलों के पीछे कारण
यह सवाल लगातार दोहराया जा रहा है कि इन अटकलों को इतना बल क्यों मिला। इसके पीछे कुछ साफ संकेत दिखते हैं।
सबसे पहले, सहगल ने अपने कार्यकाल को अधूरा छोड़ दिया। अगर कोई प्रमुख संस्थान का प्रमुख बिना पूरी अवधि पूरी किए पद छोड़ता है, तो यह सामान्य घटनाक्रम नहीं माना जाता। खासकर तब, जब कहीं से किसी टकराव की आधिकारिक जानकारी न हो।
दूसरा, मंत्रालय द्वारा इस्तीफे की तेजी से स्वीकृति ने इन सवालों को और हवा दी। कई बार उच्च पदों से इस्तीफे पर लंबे विचार-विमर्श, मीटिंग या स्पष्टीकरण की खबरें आती हैं। यहाँ ऐसा कुछ सामने नहीं आया, बल्कि संकेत यही दिखे कि प्रक्रिया बिना किसी देरी के पूरी हो गई।
इसी संयोजन, यानी अधूरा कार्यकाल, तेज स्वीकृति और साथ‑साथ सूत्रों द्वारा नई जिम्मेदारी की चर्चा, ने मिलकर यह तस्वीर बना दी कि इस्तीफा शायद किसी बड़े बदलाव की तैयारी है, न कि केवल निजी कारणों से लिया गया निर्णय।
नवनीत सहगल का प्रोफाइल: क्यों हैं वे खास?
नवनीत सहगल का नाम केवल इसीलिए चर्चा में नहीं है कि वे प्रसार भारती के चेयरमैन रहे हैं। उनकी पृष्ठभूमि खुद एक बड़ा कारण है, जिसकी वजह से उन्हें गंभीरता से देखा जा रहा है।
वे पूर्व आईएएस अधिकारी रहे हैं, और सूत्रों की भाषा में उनकी प्रशासनिक योग्यता को खूब सराहा जाता है। लंबे समय तक प्रशासन में काम कर चुके अधिकारी, नीतियों को ज़मीन पर उतारने का अनुभव, संकट प्रबंधन और बड़े संस्थानों के संचालन जैसी चीजों में पारंगत माने जाते हैं।
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