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NDA में बढ़ती नाराज़गी, सहयोगी दलों का भरोसा डगमगाया; नीतीश, नायडू और चिराग की राजनीति ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें

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2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सत्ता में तो लौटी, लेकिन इस बार 240 सीटों के साथ बहुमत से काफी दूर रही। अब 2025 में, सत्ता के एक साल पूरे होते-होते NDA के सहयोगी दलों में असंतोष खुलकर सामने आने लगा है।

मोदी सरकार आज कई सहयोगियों पर निर्भर है — नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जयंत चौधरी, एकनाथ शिंदे, अनुप्रिया पटेल और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता इस गठबंधन की रीढ़ हैं। लेकिन अब यही रीढ़ धीरे-धीरे डगमगाती दिख रही है।

चिराग पासवान: बिहार की राजनीति की ओर झुकाव

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान इन दिनों भाजपा से नाराज़ बताए जा रहे हैं।
वे खुलकर नहीं बोलते, लेकिन उनके हालिया बयानों और कार्यक्रमों से साफ संकेत मिल रहे हैं कि वे दिल्ली से ज्यादा बिहार की राजनीति में सक्रिय होना चाहते हैं।

हाल ही में चिराग की पार्टी के 139 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया, जिससे अंदरूनी हलचल तेज हो गई।
साथ ही भाजपा नेताओं के साथ उनकी दूरियां भी बढ़ती दिख रही हैं। बताया जाता है कि उन्हें नीतीश कुमार पर दिए बयानों को लेकर भाजपा ने फटकार लगाई थी।
इतना ही नहीं, हाल ही में हुए अमित शाह के सोमनाथ कार्यक्रम में भी चिराग नज़र नहीं आए — जो अपने आप में एक सियासी संकेत माना जा रहा है।

जयंत चौधरी: जातिगत समीकरणों में उलझन

राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी के लिए भी हालात आसान नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश में जाट समाज भाजपा से नाराज़ है और इसका असर जयंत पर भी पड़ा है, क्योंकि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया है।

सत्यपाल मलिक के निधन और भाजपा नेता द्वारा जयंत को “पनौती” कहे जाने के बाद उनकी नाराज़गी और बढ़ गई है।
अब चर्चा है कि जयंत भाजपा से दूरी बनाकर फिर से अखिलेश यादव या कांग्रेस के साथ आने का रास्ता तलाश सकते हैं।

एकनाथ शिंदे: मुख्यमंत्री की कुर्सी का अधूरा वादा

महाराष्ट्र के नेता एकनाथ शिंदे का असंतोष अब खुलकर सामने आ रहा है।
उन्होंने बगावत कर मुख्यमंत्री की कुर्सी तो हासिल की थी, लेकिन राजनीतिक समीकरण बदलने के बाद उनसे सत्ता की कमान छिन गई।
बीते महीनों में वे कई बार दिल्ली जाकर अमित शाह और मोदी से मुलाकात कर चुके हैं।
उनकी नाराज़गी की एक वजह यह भी है कि उनके कई समर्थकों को सत्ता में किनारे कर दिया गया है।

अनुप्रिया पटेल: पति के बयानों से बढ़ी मुश्किलें

अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल भी भाजपा से खुश नहीं बताई जा रही हैं।
उनके पति आशीष पटेल ने हाल ही में मंच से भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए थे और
यहां तक कहा जा रहा है कि उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात भी की है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अनुप्रिया पटेल अब “सॉफ्ट ऑप्शन” तलाश रही हैं।

चंद्रबाबू नायडू: इंतज़ार में रणनीतिक चाल

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू NDA के अहम सहयोगी हैं,
लेकिन उनके सुर अब मोदी सरकार से मेल नहीं खा रहे।
कहा जा रहा है कि नायडू INDIA गठबंधन से बड़े ऑफर का इंतज़ार कर रहे हैं और
जरूरत पड़ने पर वे पाला बदलने में देर नहीं करेंगे।
उनकी राजनीति हमेशा रणनीतिक धैर्य और समय के सही उपयोग के लिए जानी जाती है।

नीतीश कुमार: राजनीतिक भविष्य अधर में

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शायद NDA के सबसे अस्थिर सहयोगी हैं।
अगर बिहार विधानसभा चुनाव में NDA हारता है, तो उनकी पार्टी टूटने की स्थिति में आ सकती है।
और अगर NDA जीतता है, तो भी भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहती।
यानी किसी भी स्थिति में नीतीश की कुर्सी खतरे में है।

उनकी पार्टी में भी बगावत के संकेत हैं —
सांसद गिरिधारी यादव और नेता संजीव कुमार ने खुलकर असहमति जताई है।

इंडिया ब्लॉक: एकजुटता का संदेश

दूसरी तरफ, विपक्षी INDIA गठबंधन ने एकजुटता का प्रदर्शन किया है।
राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और तेजस्वी यादव जैसे नेता
लगातार साझा मंच पर नजर आ रहे हैं।
यह दिखाता है कि जहां NDA के भीतर असंतोष बढ़ रहा है, वहीं विपक्ष अपने अस्तित्व को मजबूत करने में जुटा है।

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