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NDA शीट शेयरिंग: लालू, राबड़ी, तेजस्वी पहुंचे दिल्ली; लैंड फ़ॉर जॉब मामले में आ सकता है बड़ा फैसला!

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बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर के एक ओर जहां एनडीए (NDA) में कल 8 घंटे की मेगा बैठक के बाद आज फाइनल लिस्ट आ गई है और केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक को अचानक लीड करने पीएम मोदी पहुंचे थे। तो दूसरी ओर गोदी मीडिया ने एक नया खेल शुरू किया है। खेल यह है कि अफवाह फैलाई जा रही है कि इंडिया गठबंधन में भी सीट शेयरिंग को लेकर कुछ ठीक नहीं चल रहा है और वह सिर्फ इस वजह से कि अचानक तेजस्वी यादव का दिल्ली आना हुआ है और उनके साथ कांग्रेस के सीनियर लीडर अखिलेश सिंह और लालू यादव हैं।

आपको बता दें कि जब से यह फोटो वायरल हुई है तब से कहानियां गढ़ी जा रही हैं कि लेकिन सच्चाई क्या है? क्यों तेजस्वी अचानक दिल्ली पहुंचे हैं और कैसे राहुल गांधी ने बिहार चुनाव से पहले कौन सा बड़ा गेम सेट कर दिया है? जिसको लेकर इतना हड़कंप मचा हुआ है। बिहार चुनाव के लिए राहुल गांधी एक्टिव हो चुके हैं। बड़ी खबर है कि चुनाव से पहले ही दलित मुद्दे पर पीएम मोदी और उनकी पार्टी को घेरने की तैयारी में हैं। एक तरफ जहां उनका दौरा राहुल गांधी रायबरेली में हुई दलित की हत्या के मामले में परिजन से मिलने जा रहे हैं। तो दूसरी ओर हरियाणा की आईपीएस पू कुमार के परिजनों से मुलाकात कर सकते हैं और देश में हो रहे दलितों के साथ यह जो लगातार अपमान के मामले हैं उसको सरकार को घेर सकते हैं।

फाइनल फैसला दलित वोटर्स ही करने वाले

आपको बता दें कि बिहार चुनाव में इसका बहुत बड़ा फैक्टर दिख सकता है। क्योंकि जहां दलित वोट चुनाव में निर्णायक भूमिका में है। एक ओर अगर जहां इंडिया गठबंधन के पास मुस्लिम यादव और कुछ सामान्य बिरादरी के लोग हैं तो दूसरी ओर एनडीए के अति पिछड़े और सामान्य बिरादरी के वोट भी बड़ी तादाद में हैं। लेकिन दोनों ओर जो है फाइनल फैसला दलित वोटर्स ही करने वाले हैं। दलित जिनकी ओर जाएगा सरकार उसकी बन जाती है। ऐसे में दलितों के उत्पीड़न एक बड़ा चुनावी मुद्दा बिहार में बन सकता है और इस दिशा में राहुल गांधी तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।

आपको बता दें कि एक ओर जहां राहुल गांधी अपनी नई रणनीति को लेके आगे जाने के लिए उस पर अगली रणनीति बनाने के लिए तेजस्वी यादव को दिल्ली बुला के उनसे मुलाकात की है। दूसरी ओर गोदी मीडिया यह अफवाह फैलाने में जुट गई है कि इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर पेंच फंस गया है। लेकिन अंदर खाने की खबर है कि इस तरह की कोई बात नहीं है। इंडिया गठबंधन में सब कुछ पहले से तय हो चुका है। तेजस्वी यादव सीएम होंगे और उनके साथ अल्पसंख्यक दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग से एक-एक डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे। जहां तक सीटों का सवाल है तो पहले से इंडिया में सब कुछ तय है। यह बात जब जाहिर है कि आरजेडी 134 सीट पे, कांग्रेस 55 सीट पे, कम्युनिस्ट के सभी दलों के लिए 32 सीटें, वीआईपी के लिए 16 सीटें और अन्य छोटे दलों के लिए सात सीटों पे लड़ाने का पूरा प्लान है।

सी वोटर्स सर्वे

हां, सिर्फ इतना नहीं हुआ है कि सीएम का आधिकारिक ऐलान हुआ हो। हालांकि यह बात भी पूरी तरह से साफ है कि इंडिया गठबंधन के सभी दल सीएम के रूप में तेजस्वी यादव को अपना सीएम प्रत्याशी मानते हैं। इसी वजह है कि अब तक जितने भी सर्वे आए हैं सभी में तेजस्वी यादव बतौर सीएम बिहार के लोगों की पहली पसंद है। आपको बता दें कि पिछले दिनों सी वोटर्स का जो सर्वे सामने आया था उसमें तेजस्वी को 35.5% जो है नीतीश कुमार को 15% और प्रशांत किशोर को 20% लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं। ऐसे में साफ़ है कि पहले और दूसरे नंबर में लगभग डेढ़ गुना का अंतर है और अब राहुल गांधी ने तेजस्वी और अखिलेश को दिल्ली बुलाया है और इस पर फाइनल मीटिंग होने। ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार चुनाव से पहले इंडिया अपने सीएम के नाम का ऐलान भी कर सकता है। लेकिन गोदी मीडिया यह अफवाह फैलाने में लग गया है कि इंडिया में सीट शेयरिंग पेच फंसा हुआ है। जबकि सच्चाई यह है कि एनडीए में जबरदस्त सिर फुटवल चल रही है।

चाणक्य नीति

आपको बता दें कि कल जब अचानक उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट किया था तो हड़कंप मच गया था। जहां मीटिंग लेने के लिए जेपी नड्डा को आना पड़ा था तो वहीं आनन-फानन में अमित शाह खुद मीटिंग लेने आए थे। लेकिन उनके जाने के बाद भी कोई चाणक्य नीति नहीं चली। आपको बता दें कि 8 घंटे की मैराथॉन बैठक चली लेकिन कोई रिजल्ट ही नहीं निकला है। अंदर खाने की खबर है कि चिराग किसी भी कीमत पे 35 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है और उपेंद्र कुशवाहा व जीतन राम मांझी भी जिद पकड़े हुए बैठे हैं। ऐसे में एक ओर जहां पीएम मोदी के चाणक्य की सारी रणनीति फेल होती दिख रही है कि मामले को सुलझाने और के लिए बीजेपी पूरी ताकत जो है वह झोंकने में लगी है। लेकिन सीट शेयरिंग पर कोई तीनों दल कुछ सुनने को तैयार नहीं है।

NDA शीट शेयरिंग: चिराग जदयू और भाजपा को झुकाने में


आपको बता दें कि पहले ऐलान किया गया था कि 11 तारीख को बिहार के चुनाव समिति की बैठक होगी। फिर 12 तारीख को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होनी थी और 13 तारीख को प्रत्याशियों की सूची सामने आ जानी थी। लेकिन आपको बता दें कि केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले ही आनन-फानन में बीजेपी ने अपनी सीट शेयरिंग के साथ प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। बीजेपी जदयू 101 जो है उसमें लड़ेंगे। चिराग पासवान को 29 मिली हैं। जीत राम मांझी को छह और उपेंद्र कुशवाहा को छह सीटें मिली हैं। खबर है कि चिराग पासवान बहुत हद तक बीजेपी और जदयू को झुकाने में कामयाब रहे हैं। क्योंकि जो फाइनल लिस्ट आई है उसमें चिराग की चार सीटें बढ़ गई हैं और जदयू जो 105 सीट पे टिकी थी उसकी सीधे चार सीटें काट कर चिराग पासवान की पार्टी को दिया गया है। हालांकि दावा किया जा रहा है कि अभी भी कुछ जगह जैसे कि उपेंद्र कुशवाहा और जीताराम मांझी को लेकर पेंच फंसा है।

चिराग की आक्रमकता

आपको बता दें जिस तरह से लगातार पेंच फंसता जा रहा है और पीएम साहब के चाणक्य अमित शाह जिस तरह से फेल हो गए हैं ऐसे में अब पीएम साहब के पास खुद मोर्चा लेने के लिए कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है। आपको बता दें कि सीट शेयरिंग से पहले ही बीजेपी के अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान जैसे बड़े चेहरे फेल हो चुके हैं और यही वजह है कि पीएम मोदी खुद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक को लीड करने के लिए सामने उनको आना पड़ा है। दो दिन पहले जब चिराग पासवान पूरी तरह आक्रामक थे तो अचानक केंद्रीय मंत्री नित्यानंद पीएम मोदी के दूत के रूप में सामने आकर चिराग को समझाने और सार्वजनिक तौर पर बिल्कुल अलग मैसेज देने की कोशिश की थी और पीएम की ओर से राज्यसभा और विधान परिषद की सीटें देने का वादा किया था। लेकिन इसके बाद भी चिराग बहुत संतुष्ट नहीं थे और कल की मीटिंग 8 घंटे चलना इस बात का सबूत है कि मीटिंग में चिराग को लेकर भारी मंथन हुआ।

वैसे तो चिराग की डिमांड 35 थी लेकिन बीजेपी ने नीतीश कुमार के जदयू की 105 सीटों को घटा के 101 करते हुए चिराग को मनाने की पूरी कोशिश की है। हालांकि फिर भी लोजपा पूरी तरह खुश नहीं थी। यही वजह है कि पीएम मोदी आज बैठक को खुद लीड करने अचानक पहुंचे हैं क्योंकि अगर यह सब कुछ जानते थे कि अगर पीएम मोदी कुछ कहेंगे तो चिराग कुछ नहीं कहेंगे। आपको बता दें कि ये सब बातें छिपाने का प्रयास किया जा रहा है और फोकस इस बात से हटा के एनडीए गठबंधन से इंडिया गठबंधन पे किया जा रहा है। लेकिन बिहार चुनाव के लिए राहुल गांधी को मेगा प्लान वो तैयार हो चुका है। एक और जहां तेजस्वी यादव के सीएम प्रत्याशी का जल्द ऐलान होगा तो दूसरी ओर राहुल गांधी को दलित उत्पीड़न वाले मामले को उठाना बहुत बड़ा गेम साबित होगा। आपको बता दें कि जो अफवाह फैलाई जा रही है कि इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेके राहुल तेजस्वी और लालू यादव की मुलाकात होनी है। यह सरासर गलत है।

लैंड फ़ॉर जॉब मामला

लालू यादव और राबड़ी देवी इसीलिए दिल्ली पहुंचे हैं कि लैंड फॉर जॉब मामले में 13 सितंबर को सुनवाई होनी है। इसमें ना सिर्फ लालू यादव, राबड़ी देवी का नाम है बल्कि तेजस्वी यादव और मीसा भारती का भी नाम शामिल है। सभी को कोर्ट में पेश होना है। खबर है कि इसमें कोई बड़ा फैसला हो सकता है। कोर्ट लैंड फॉर जॉब मामले में कोई बड़ा फैसला भी सुना सकती है। जिससे कि बिहार का पूरा चुनाव हिल सकता है। ऐसे में यह बात आईने की तरह साफ है कि लालू यादव और उनके परिवार के दिल्ली आने की वजह दूसरी है। गोदी मीडिया सब गलत अफवाह फैला कर गेम करना चाहता है। हालांकि पूरे मामले में इतना जरूर सच है कि कल इंडिया गठबंधन की बैठक होनी है और इसमें ना सिर्फ राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी समेत कई वाम दलों के नेता शामिल होंगे।

ऐसे में साफ है कि मीटिंग तो होनी है लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर नहीं बल्कि बिहार चुनाव की आगामी रणनीति को लेकर। जैसा कि आप जानते हैं कि बिहार चुनाव की तारीखें आ चुकी हैं। 6 और 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। 243 सीटों पर जंग है। एक तरफ एनडीए, बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी और छोटे साथी तो दूसरी तरफ जो है इंडिया गठबंधन के आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियां और वीआईपी है। लेकिन इन सबके बीच में राहुल गांधी ने दलितों के मुद्दे को लेकर पूरी तरह से अग्रेसिव हैं और इस मुद्दे को लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में बिहार के 16% दलित फिर से कांग्रेस के पाले में आते हैं, तो इंडिया गठबंधन चुनाव स्वीप कर सकता है और यही वजह है कि गोदी मीडिया तेजस्वी के दिल्ली पहुंचने की घटना को अलग तरीके से पेश कर रहा है।

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