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पवन खेड़ा का SIR पर बड़ा हमला: एक भी घुसपैठियों के नाम नही बता रही सरकार
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार को कड़ा झटका दिया है। उन्होंने एसआईआर (SIR) प्रक्रिया पर सवाल ठोक दिए। बिहार में घुसपैठियों को पकड़ने का दावा खोखला क्यों लग रहा है? सरकार एक भी नाम नहीं बता पा रही। यह विवाद तेजी से राजनीतिक आग भड़का रहा है। आप सोचिए, अगर सुरक्षा का दावा इतना मजबूत है तो आंकड़े क्यों छिपा रहे हैं?
पवन खेड़ा का सीधा आरोप: एसआईआर डेटा की पारदर्शिता पर सवाल
पवन खेड़ा ने एसआईआर पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में इस प्रक्रिया से कितने घुसपैठिए पकड़े गए? सरकार चुप्पी साधे हुए है। एक भी नाम या आंकड़ा सामने नहीं आया।
बिहार में एसआईआर के तहत पकड़े गए घुसपैठियों की संख्या: एक अनसुलझा रहस्य
खेड़ा का सवाल बिल्कुल साफ है। एसआईआर से बिहार में एक घुसपैठिए का नाम बताओ। सरकार जवाब टाल रही है। यह रहस्य क्यों बना हुआ है? लोग पूछ रहे हैं कि पारदर्शिता कहां गई।
खेड़ा ने कहा। “एसआईआर घुसपैठिया बिहार में कितने घुसपैठिए निकले बताओ तो। एक घुसपैठिए का नाम नहीं दे रहे।” यह आरोप सीधा केंद्र को घेरता है। बिना डेटा के दावा खाली लगता है।
कांग्रेस मानती है कि एसआईआर में खामी है। या फिर सरकार सच छिपा रही है। दोनों में से क्या सही? घुसपैठिए अगर आ ही गए तो प्रक्रिया फेल हुई। खेड़ा बार-बार पारदर्शिता मांग रहे हैं। यह सिर्फ राजनीति नहीं, सुरक्षा का सवाल है।
केंद्रीय गृहमंत्री की ‘विफलता’ का मुद्दा
पवन खेड़ा ने गृहमंत्री को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि मंत्री बार-बार विफलता कबूल रहे हैं। “मेरे रहते हुए घुसपैठिए आ गए।” यह बयान खुद ही कमजोरी दिखाता है। केंद्र सरकार क्यों खुद को फेल बता रही है?
गृहमंत्री के बयानों का समय देखिए। वे कहते हैं कि घुसपैठिए देश में घुस आए। लेकिन एसआईआर ने उन्हें क्यों नहीं रोका? खेड़ा का काउंटर पॉइंट सटीक है। अगर पकड़े गए होते तो नाम बताते। अब यह सवाल उठा कि बॉर्डर सिक्योरिटी कितनी मजबूत है।
विपक्ष अब एसआईआर पर भरोसा नहीं कर रहा। खेड़ा इसे साबित कर रहे हैं। सुरक्षा में चूक हुई तो जनता कैसे भरोसा करे? यह संदेह पूरे तंत्र पर फैल रहा है। बिहार जैसे राज्य में यह बड़ा मुद्दा बन गया।
एसआईआर (SIR): क्या है यह प्रक्रिया और विपक्ष इसे क्यों निशाना बना रहा है?
एसआईआर सुरक्षा पहचान रजिस्ट्री है। इसका मकसद अवैध घुसपैठियों की पहचान करना। नागरिकों को ट्रैक करना और देश की सुरक्षा मजबूत करना। लेकिन विपक्ष कहता है कि यह फेल हो गया। खेड़ा ने इसे निशाना बनाया।
एसआईआर का मूल उद्देश्य बनाम जमीनी हकीकत
एसआईआर का लक्ष्य साफ था। हर व्यक्ति की पहचान चेक करना। लेकिन जमीनी स्तर पर क्या हो रहा? बिहार में कोई आंकड़ा नहीं। उद्देश्य अच्छा, नतीजा जीरो। यह अंतर विपक्ष उजागर कर रहा है।
खेड़ा ने साफ कहा। “एसआईआर विपक्ष का मुद्दा नहीं है।” यह सुरक्षा का मामला है। राजनीति से ऊपर उठकर देखिए। अगर फेल है तो सुधारो। विपक्ष बस जवाब मांग रहा है। पारदर्शिता लाओ, तब भरोसा बनेगा।
घुसपैठ का मुद्दा अब चुनावी रंग ले रहा। बिहार में यह हॉट टॉपिक है। एसआईआर डेटा की कमी दोनों पक्षों को फायदा-नुकसान दे रही। पारदर्शिता न होने से बहस तेज हो गई।
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