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PFI BAN: केंद्र की मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI को गैर-कानूनी घोषित करते हुए इसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
PFI BAN: मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर पांच साल की पाबंदी लगा दी। इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने इस संगठन के खूनी खेल व काले कारनामों की लंबी फेहरिस्त भी जारी की है। इससे साफ पता चलता है कि यह तमिलनाडु , केरल, कर्नाटक समेत कई राज्यों में हुई नृशंस हत्याओं में लिप्त रहा है।
PFI BAN: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेश में कहा गया है कि सरकार ने पीएफआई की विध्वंशक गतिविधियों को देखते हुए देशहित में विधि विरुद्ध गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967 यानी यूएपीए के सेक्शन 3 के सब सेक्शन 1 के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 5 साल के लिए बैन किया है।
PFI BAN: गृह मंत्रालय के संबंधित सेक्शन और सब-सेक्शन में कहा गया है कि अगर सरकार को किसी व्यक्ति, संस्था या किसी और एंटिटी के खिलाफ देशविरोधी या आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के सबूत मिलें तो वह उस व्यक्ति, संस्था या अन्य एंटिटी पर प्रतिबंध लगा सकती है।
केंद्र सरकार ने अपने गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों के गुनाहों को भी एक-एक करके गिनाया है।
बता दें कि बीते दिनों केंद्रीय जांच एजेंसियों ने देशभर में दो बार छापेमारी कर इस संगठन के 300 से ज्यादा कार्यकर्ताओं व नेताओं को गिरफ्त में लिया था। पीएफआई के तार खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस से भी जुड़े हैं। इसका इरादा देश के लोगों में भय पैदा करना था।
PFI BAN: अधिसूचना में कहा गया है कि देश के विभिन्न राज्यों में हुई हत्याओं में पीएफआई का हाथ रहा है। इनमें केरल में अभिमन्यु की 2018ए संजीथ की नवंबर 2021 में और नंदू की 2021 में हुई हत्याएं, तमिलनाडु में 2019 में रामलिंगम, 2016 में शशि कुमार की हत्या, कर्नाटक में 2017 में शरथ, 2016 में आर. रुद्रेश, 2016 में ही प्रवीण पुजारी और 2022 में प्रवीण नेट्टारू की नृशंस हत्याओं में इसी पीएफआई का हाथ रहा है। इन हत्याओं का एकमात्र मकसद देश में शांति भंग करना और लोगों के मन में खौफ पैदा करना था।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इस संगठन की गतिविधियों के कई सबूत ऐसे मिले हैं, जिनसे पुष्टि होती है कि यह देश में आतंकी कार्यों लिप्त है। संगठन के सदस्य सीरिया, इराक व अफगानिस्तान में जाकर आईएस के आतंकी समूहों में शामिल हुए।
PFI BAN: गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों, युवाओं, छात्रों और कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए अपने कई सहयोगी संगठनों की स्थापना की। इसका मकसद अपना प्रभाव बढ़ाना और फंड जुटाना रहा। जिन संगठनों पर पाबंदी लगाई गई है, उनमें कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन शामिल हैं।
PFI BAN: सरकार का कहना है कि रिहैब इंडिया पीएफआई के सदस्यों के माध्यम से धन जुटाता है और जबकि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पार इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन और केरल के कुछ सदस्य पीएफआई के भी सदस्य हैं तथा पीएफआई के नेता जूनियर फ्रंट, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आर्गनाइजेशन और नेशनल वीमेन फ्रंट की गतिविधियों की निगरानी और समन्वय करते हैं।
गौर करें तो पीएफआई पर पाबंदी की यूपी, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने मांग की थी। इन राज्यों ने केंद्र ने बताया था कि यदि कार्रवाई न हुई तो क्या होगा।
PFI BAN: बीते एक सप्ताह में एनआईए, ईडी और कई राज्यों की पुलिस ने पीएफआई के खिलाफ कई जगह छापे मारकर 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया । ये कार्रवाई 22 और 27 सितंबर को की गई थी। 22 सितंबर को छापेमारी में 106 पीएफआई कार्यकर्ता व नेता गिरफ्तार हुए थे, जबकि 27 सितंबर को 247 गिरफ्तार किए गए या हिरासत में लिए गए थे।