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Political Parties Assets: नेशनल पार्टियों की संपत्ति 1 साल में ₹1531 करोड़ बढ़ गई है। भाजपा की 21% और कांग्रेस की 16% संपत्ति अधिक हुई।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 8 नेशनल पार्टियों की घोषित संपत्ति 1 साल में ₹1531 करोड़ रुपए बढ़ गई। 2020-21 में इन पार्टियों की संपत्ति ₹7,297.62 करोड़ थी। जो 2021-22 में बढ़कर ₹8,829.16 करोड़ हो गई। इस दौरान भाजपा की संपत्ति में 21% और कांग्रेस की संपत्ति में 16% इजाफा हुआ है।
जिन 8 पार्टियों की संपत्ति बढ़ी है। उनमें भाजपा, कांग्रेस, नेशनल कांग्रेस पार्टी (NCP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्कसिस्ट , CPI (M), तृणमूल कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) हैं। हालांकि, अब देश में सिर्फ 6 नेशनल पार्टियां है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और तृणमूल कांग्रेस का नेशनल पार्टी का दर्जा छिन चुका है। आम आदमी पार्टी (AAP) अब नेशनल पार्टी है।
देश की 8 नेशनल पार्टियों की घोषित संपत्ति 1 साल में 1531 करोड़ रुपए बढ़ गई। 2020-21 में इन पार्टियों की संपत्ति 7,297.62 करोड़ रुपए थी। 2021-22 के दौरान इनकी संपत्ति बढ़कर 8,829.16 करोड़ रुपए हो गई। द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
ये पार्टियां- भाजपा, कांग्रेस, नेशनल कांग्रेस पार्टी (NCP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, CPI (माओवादी), तृणमूल कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPEP) हैं।
2020-21 के दौरान राष्ट्रीय पार्टियों पर 103.55 करोड़ रुपए का कर्ज था। इनमें से कांग्रेस के ऊपर 71 करोड़, भाजपा के ऊपर 16 करोड़, CPI (माओवादी) के ऊपर 16 करोड़, TMC के ऊपर 3.8 करोड़ और NCP के ऊपर 0.73 करोड़ रुपए का कर्ज था।
2021-22 के दौरान इन पांचों पार्टियों का कर्ज कम हो गया। इस दौरान कांग्रेस के ऊपर 41.9 करोड़, भाजपा के ऊपर 5 करोड़, CPI (माओवादी) के ऊपर 12 करोड़, TMC के ऊपर 2.5 करोड़ और NCP के ऊपर 0.72 करोड़ रुपए का कर्ज था।
एक साल में राष्ट्रीय पार्टियों का रिजर्व फंड 1572 करोड़ रुपए बढ़ गया। 2020-21 में इन पार्टियों का रिजर्व फंड 7194 करोड़ रुपए था, जो 2021-22 में बढ़कर 8766 करोड़ रुपए हो गया।
ADR ने कहा कि सभी नेशनल पार्टियां इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की गाइडलांइस का पालन करने में असफल रहीं। इस गाइडलाइन के मुताबिक, पार्टियों को यह बताना होता है कि उन्होंने किस बैंक, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन या एजेंसी से लोन लिया है।