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Social media पर राजनीतिक पोस्टिंग: बिहार में 7 शिक्षकों पर FIR और निलंबन की गिरी गाज
सोशल मीडिया (Social media) आज हर घर की बात है। यह जानकारी बांटने का आसान तरीका लगता है, लेकिन कभी-कभी यह जाल भी बन जाता है। बिहार के सारण जिले में सात सरकारी शिक्षकों को इसी गलती ने महंगा पड़ा। उन्होंने चुनाव के समय राजनीतिक पोस्ट शेयर कीं, और नतीजा? उन पर FIR दर्ज हुई, साथ ही नौकरी से सस्पेंड भी कर दिया गया। यह घटना बिहार विधानसभा चुनाव के बीच आई, जब आदर्श आचार संहिता (MCC) सख्ती से लागू थी। सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्टिंग एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है। आप सोचिए, एक साधारण पोस्ट आपकी नौकरी दांव पर लगा सकती है।
बिहार में घटनाक्रम: सारण जिले में सात शिक्षकों पर कार्रवाई
आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की पृष्ठभूमि
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होते ही MCC लागू हो गई। यह कोड का मकसद है चुनाव को निष्पक्ष रखना। इसमें सरकारी कर्मचारियों को राजनीति से दूर रहना पड़ता है। चुनाव आयोग कहता है कि कोई भी सरकारी सेवक पार्टी के प्रचार में न लगे। सारण जिला प्रशासन ने इस नियम को तोड़ने वालों पर तुरंत एक्शन लिया। सात शिक्षकों को सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्टिंग के चलते पकड़ा गया। यह कार्रवाई चुनाव की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जरूरी थी। जिला अधिकारियों ने साफ चेतावनी दी कि ऐसा कोई उल्लंघन बर्दाश्त नहीं होगा।
निलंबित शिक्षकों के खिलाफ विशिष्ट आरोप
सात शिक्षकों पर मुख्य आरोप था कि वे किसी उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष में प्रचार कर रहे थे। दीपक कुमार, जो नगर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाते हैं, पर एक खास उम्मीदवार को वोट देने की अपील का इल्जाम लगा। राजेश कुमार तिवारी, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय पीपरा डीह के दरियारपुर में अध्यापक, सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट शेयर करने के दोषी पाए गए। सुरेंद्र प्रसाद सिंह, मैकडोनाल्ड उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवरिया तरैया के विशिष्ट शिक्षक, प्रचार सभा में शामिल होने के कारण फंसे। बाकी चार शिक्षकों पर भी इसी तरह के आरोप हैं, जैसे सार्वजनिक अपील करना। ये सब पोस्ट सोशल मीडिया पर की गईं, जो MCC के खिलाफ थीं। इस तरह की गतिविधियां चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए प्रशासन ने सख्ती दिखाई।
कानूनी और विभागीय निहितार्थ: FIR से निलंबन तक
आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की परिभाषा
भारत निर्वाचन आयोग के नियम साफ हैं। सरकारी सेवक या संविदा कर्मी चुनाव के दौरान राजनीतिक मंच पर न चढ़ें। प्रचार न करें, सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट न डालें। किसी उम्मीदवार के पक्ष में अपील करना भी बैन है। यह नियम इसलिए है ताकि सरकारी तटस्थ रहे। सोशल मीडिया पर पोस्टिंग को आधिकारिक माना जाता है, भले ही पर्सनल अकाउंट हो। अगर आप सरकारी नौकरी में हैं, तो ऐसी पोस्टिंग उल्लंघन मानी जाती है। आयोग इसे गंभीर अपराध मानता है, जो लोकतंत्र को कमजोर कर सकती है।
तत्काल की गई प्रशासनिक कार्रवाइयां
सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने तुरंत आदेश दिए। सातों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया। FIR मशक्क, तरैया, दरियारपुर, जलालपुर और छपरा सदर थानों में दर्ज हुई। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर यह कदम उठाया। उन्होंने प्रखंड और नगर निकाय अधिकारियों को निलंबन के निर्देश भेजे। विभागीय कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है। ये कदम दिखाते हैं कि MCC उल्लंघन पर कोई ढील नहीं। शिक्षकों को अब नौकरी वापस पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए सबक: सोशल मीडिया पर बरतने योग्य सावधानियां
किन कार्यों से बचना अनिवार्य है
MCC लागू होने पर सरकारी कर्मचारियों को सावधान रहना चाहिए। राजनीतिक पोस्ट शेयर न करें। किसी पार्टी के पक्ष या विपक्ष में अपील न करें। यहां एक सरल सूची है जो आपको बचाएगी:
- सोशल मीडिया पर उम्मीदवार की तारीफ न लिखें।
- प्रचार सभा में न जाएं, भले ही पर्सनल हो।
- पार्टी के मीम या वीडियो न फॉरवर्ड करें।
- वोट अपील करने वाली स्टोरी न पोस्ट करें।
ये छोटी-छोटी गलतियां भी FIR का कारण बन सकती हैं। पर्सनल अकाउंट पर भी पोस्टिंग को सरकारी माना जाता है। इसलिए, चुनाव के समय सोशल मीडिया से दूरी बनाएं। आपका एक क्लिक आपकी करियर बर्बाद कर सकता है।
निलंबन के बाद विभागीय कार्यवाही का भविष्य
निलंबन सिर्फ शुरुआत है। इन शिक्षकों के खिलाफ जांच चल रही है। विभागीय कार्रवाई में सजा हो सकती है, जैसे वेतन कटौती या नौकरी से बर्खास्तगी। लंबे समय तक मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। करियर पर दाग लग सकता है, जो प्रमोशन रोक दे। बिहार जैसे राज्यों में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए, सस्पेंशन से पहले सोचें। आगे चलकर ये शिक्षक कोर्ट जा सकते हैं, लेकिन समय लगेगा। यह सबक सबके लिए है: सावधानी बरतें।
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