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Rabri Devi ने IRCTC घोटाले में जज ट्रांसफर की मांग की
राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने आईआरसीटीसी (IRCTC) घोटाले के केस में स्पेशल जज विशाल गोगने को हटाने की अर्जी दाखिल कर दी। ये कदम ने सबको चौंका दिया। ये मामला लैंड फॉर जॉब्स घोटाले से जुड़ा है। जहां न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल उठाया गया। कोर्ट अब 25 नवंबर को इसकी सुनवाई करेगा। क्या जज बदलेंगे? या केस आगे बढ़ेगा?
मुख्य कानूनी चुनौती: जज विशाल गोगने के खिलाफ ट्रांसफर अर्जी
राबड़ी देवी की अर्जी का आधार
राबड़ी देवी ने साफ कहा। वे जज विशाल गोगने के रवैये से खुश नहीं हैं। इसलिए केस किसी और जज को सौंपा जाए। अर्जी में जज के फैसलों पर असंतोष जताया गया। कानूनी तौर पर ये मांग जायज लगती है। अगर आरोपी को लगे कि जज पक्षपाती है।
भारतीय अदालतों में ट्रांसफर अर्जी दाखिल करना आसान नहीं। राउस एवेन्यू कोर्ट सीबीआई और ईडी केस हैंडल करता है। यहां स्पेशल जजों की टीम काम करती है। अर्जी जज की बायस पर आधारित होनी चाहिए। राबड़ी देवी का दावा यही है। कोर्ट अब सबूत मांगेगा।
ये कदम केस को लंबा खींच सकता है। वकील अक्सर ऐसा करते हैं। निष्पक्ष सुनवाई का हवाला देकर। लेकिन जज इसे डिले टैक्टिक भी मान सकते हैं।
आईआरसीटीसी घोटाले का बैकग्राउंड
आईआरसीटीसी लैंड फॉर जॉब्स स्कैम बड़ा मामला है। लालू प्रसाद यादव परिवार पर आरोप है। रेलवे जॉब्स के बदले जमीनें ली गईं। बिहार में ये जमीनें सस्ते दाम पर मिलीं। सीबीआई और ईडी जांच कर रही हैं। राबड़ी देवी, तेज प्रताप और तेजस्वी यादव नामजद हैं।
केस की शुरुआत 2022 में हुई। आईआरसीटीसी होटल कॉन्ट्रैक्ट्स दिए गए। बदले में प्रॉपर्टी ट्रांसफर हुई। ये पैसे की हेराफेरी का केस है। स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई। जज विशाल गोगने सुनवाई चला रहे थे। अब ट्रांसफर मांग ने ट्विस्ट ला दिया।
कानूनी धारा CrPC 407 के तहत अर्जी लगती है। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट फैसला लेता है। यहां राउस एवेन्यू में शुरुआती सुनवाई होगी।
अगली सुनवाई की तारीख और कोर्ट का फोकस
ट्रांसफर अर्जी पर सुनवाई 25 नवंबर को होगी। ये तारीख बहुत अहम है। सबकी नजरें कोर्ट पर टिकी हैं। जज ये तय करेंगे कि अर्जी में दम है या नहीं। अगर बायस साबित हुआ तो चेंज होगा। वरना केस यूं ही चलेगा।
कोर्ट में वकील दोनों तरफ बहस करेंगे। राबड़ी पक्ष सबूत पेश करेगा। दूसरी तरफ जांच एजेंसी विरोध करेगी। ये सुनवाई छोटी लगती है। लेकिन फैसला केस की दिशा बदलेगा।
तारीख नजदीक आ रही है। मीडिया कवरेज बढ़ेगा। राजनीतिक हलचल भी मचेगी। बिहार चुनावों से पहले ये बड़ा मुद्दा बनेगा।
आईआरसीटीसी केस ट्रायल पर असर
अगर अर्जी मान ली गई तो नया जज आएगा। केस दोबारा शुरू होगा। सबूत दोहराने पड़ेंगे। ट्रायल में देरी होगी। महीनों लग सकते हैं।
अगर खारिज हुई तो जज गोगने आगे बढ़ेंगे। फ्रेमिंग ऑफ चार्जेस होगा। गवाह बुलाए जाएंगे। केस तेजी से चलेगा। आरोपी पक्ष को झटका लगेगा।
दोनों हालात में राजनीतिक असर पड़ेगा। लालू परिवार की इमेज पर सवाल उठेंगे। विपक्ष हमला बोलेगा। समर्थक इसे न्यायिक साजिश कहेंगे।
हाईप्रोफाइल केस में रिक्यूजल और ट्रांसफर समझें
निष्पक्ष न्यायपालिका जरूरी है। जज को बायस नहीं दिखना चाहिए। संघर्ष हित या पूर्वाग्रह पर ट्रांसफर होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार गाइडलाइंस दीं। जज खुद रिक्यूज कर सकता है।
दिल्ली कोर्ट में पहले भी ऐसे केस हुए। कोलगेट घोटाले में जज बदले गए। 2G स्कैम में अर्जियां खारिज हुईं। राबड़ी का केस इन्हीं से मिलता है। कोर्ट डिले रोकने को सतर्क रहता है।
ट्रांसफर दुर्लभ होता है। ज्यादातर अर्जियां रिजेक्ट होती हैं। साबित करना मुश्किल है। आरोपी को मजबूत ग्राउंड चाहिए।
ज्यूडिशियल रीअसाइनमेंट पर एक्सपर्ट नजरिया
वकील इसे स्ट्रैटेजी मानते हैं। मिड ट्रायल में अर्जी फाइल करना जोखिम भरा। कोर्ट डिले टैक्टिक देख लेता है। लीगल एक्सपर्ट कहते हैं। सच्ची बायस हो तो मान लो। वरना उल्टा नुकसान।
करप्शन केस में ये आम है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी। फर्जी अर्जी पर सजा हो सकती है। राबड़ी का केस टेस्ट होगा। न्यायपालिका मजबूत दिखेगी।
एक्सपर्ट सलाह देते हैं। वकील पहले हाई कोर्ट जाएं। लेकिन यहां डायरेक्ट कोर्ट में ट्राई किया। रिजल्ट देखना बाकी।
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