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Samrat Choudhary और AIMIM के बीच गुपचुप मुलाकात, ऑपरेशन लोटस में जुटी भाजपा?

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बिहार में एक बार फिर से बीजेपी नीतीश से गृह विभाग और स्पीकर का पद छीनने के बाद बड़े गेम की तैयारी में जुट गई है। आपको बता दें बड़ी खबर आ रही है कि सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) और एआईएमआईएम (AIMIM) के बीच अंदर खाने में गुपचुप मुलाकातों का दौर शुरू हो चुका है। जैसे ही फोटो वायरल हुई है इस खेल का खुलासा हुआ है। ज्ञापन देने की बात सामने आने लगी। लेकिन इस खबर के बाद नीतीश कुमार कैंप अलर्ट मोड पर आ गया है। बीजेपी की एआईएमएम (AIMIM) के साथ कौन सी गुपचुप मुलाकात की फोटो वायरल हुई और कैसे मामले के बाद हंगाम मच गया है।

ऑपरेशन लोटस क्यों?

पीएम मोदी और उनके चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का यह पुराना खेल है कि जहां-जहां बीजेपी कमजोर दिखती है वहां पे बीजेपी विधायकों को तोड़ के खरीद के लालच दे कर डरा धमका कर सरकार गिरा देती है और अपनी बना देती है। कर्नाटक में किया मध्य प्रदेश में किया महाराष्ट्र में किया गोवा मणिपुर अरुणाचल प्रदेश हर जगह किया और अब नंबर है बिहार का लेकिन बड़ा सवाल है कि बिहार में तो नीतीश कुमार खुद बीजेपी के साथ हैं तो फिर ऑपरेशन लोटस क्यों? क्योंकि बीजेपी का बहुत पुराना सपना है कि बिहार में अपना उनका सीएम हो।

स्पीकर पद पर भी बीजेपी का कब्जा

पिछले साल ही डिप्टी सीएम सिन्हा साहब तो भरे मन से कह चुके हैं कि अटल जी सपना तब पूरा होगा जब बिहार में बीजेपी का अपना सीएम होगा और इसके लिए बीजेपी के चाणक्य बहुत दिनों से गुणा गणित सेट कर रहे हैं। लेकिन हर बार वह फेल हो जाते हैं। इस बार भी बहुत तगड़ी मेहनत करने के बाद भी नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी की बाजी मारने में किसी तरह से कामयाब हो गए हैं। लेकिन उनका सबसे पुराना विभाग जो है मजबूत गृह छीन लिया गया है। साथ ही स्पीकर पद पर भी बीजेपी का कब्जा हो गया है। वैसे भी नीतीश कुमार की एक आदत है कि वह बिहार की राजनीति में पलटू कुमार के नाम से जाने जाते हैं। कब उनके मन में क्या आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है और वह कब पलट जाए।

बीजेपी खुद को सेफ मोड में

इससे पहले बीजेपी खुद को सेफ मोड में ले जाने की कोशिश कर रही है। बता दें आपको 2017 में लालू के साथ थे। रातोंरात बीजेपी के साथ आ गए। 2022 में बीजेपी के साथ थे। फिर महागठबंधन में चले गए। 2024 में फिर बीजेपी के साथ आ गए। बीजेपी को अब डर है कि कहीं 2025 में फिर पलटी ना मार दे। इसीलिए अंदर खाने में बीजेपी का प्लान भी तैयार हो रहा है और बिहार में सीधे अपनी सरकार बनाने की तैयारी चल रही है और इस पूरे प्लान का मास्टरमाइंड है बिहार बीजेपी के नए कप्तान यानी कि सम्राट चौधरी| जी हां वही सम्राट चौधरी जिनको बीजेपी ने नीतीश के गृह मंत्रालय छीन के वो दिया है जो हर ओर कहते घूमते हैं कि मैं लालू यादव की राजनीतिक विरासत खत्म कर दूंगा| अब सम्राट चौधरी ने एक नया दांव चला है और यह दांव इतना चालाक है कि नीतीश कुमार भी अभी तक समझ नहीं पाए हैं। क्या है वह दांव चलिए एक-एक करके खोलते हैं।

नीतीश के बेटे निशांत को राजनीति में लाना

पहला कदम कि निशांत कुमार को तैयार करना। दोस्तों आप जानते हैं कि निशांत कौन है? जी हां, नीतीश कुमार के बड़े बेटे जो अभी तक राजनीति से दूर थे, पढ़े-लिखे हैं। शांत स्वभाव के हैं और नितीश ने साफ कहा था कि मेरा बेटा राजनीति में नहीं आएगा। लेकिन अब बीजेपी चाहती है कि निशांत राजनीति में आए। बीजेपी की यह मंशा इसलिए है क्योंकि अगर निशांत को आगे कर दिया जाए तो जदयू के अंदर एक नया धड़ा बन जाएगा निशांत गुट। और दोस्तों इसके साथ ही नीतीश कुमार जो है वो बूढ़े हो रहे हैं। स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। लोग कहने लगे हैं कि अब नई पीढ़ी को मौका मिलना चाहिए। अगर निशांत मैदान में उतर गए तो जेडीयू के कई सीनियर विधायक का नाराज होना तय है और हो रहा है कि जब नीतीश कुमार ही नहीं चाहते कि निशांत राजनीति में आए तो क्यों संजय वो पीछे पड़ गए हैं।

आपको बता दें कि अभी 2 दिन पहले निशांत की मीडिया के सामने निशांत को फंसा दिया गया था। कहा जाता है कि इसके लिए पीछे चाणक्य जी का लंबा खेल है। संजय झा को बीजेपी ने आगे किया है ताकि जदयू के अंदर की बगावत का बीज बोया जाए और नीतीश कुमार अंदर से कमजोर हो गए हैं। आपको बता दें कि एक ओर जहां से सब कुछ चल रहा है निशांत को राजनीति में लाकर नितीश को कमजोर किया तो वहीं दूसरी ओर सम्राट चौधरी की एआईएमआईएम बिहार चीफ से गुपचुप मुलाकात अचानक सुर्खियों में आ गई है।

बिहार में मुस्लिम वोट बट जाएं तो सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को

आपको बता दें कि अख्तुरुल ईमान से मुलाकात हाल ही में सम्राट चौधरी की हुई है और गुपचुप बिना कैमरे के बिना मीडिया के। अब आप सोच रहे होंगे कि बीजेपी और एआईएमआईएम यह तो एक दूसरे के धुर विरोधी हैं। हां बिल्कुल लेकिन सियासत में दोस्ती दुश्मनी नहीं होती है। सिर्फ फायदा ही होता है। बीजेपी को पता है कि अगर बिहार में मुस्लिम वोट बट जाएं तो सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को होगा और एआईएमआईएम सीमांचल में मजबूत हो रही है। अकतुरुल ईमान खुद बहुत लोकप्रिय नेता हैं तो सम्राट चौधरी ने सोचा कि क्यों ना अतुरुल से हाथ मिला लिया जाए और उन्हें साथ लेकर महागठबंधन को तोड़ दिया जाए।

अमित शाह का प्लान 89, 19, 6, 5 का गठजोड़

यानी एक तरफ़ जदयू को तोड़ो, दूसरी तरफ़ आरजेडी के वोट कटवाओ। आपको बता दें कि चाणक्य अमित शाह का एक महा प्लान बना है जिसमें 89 196 5 का गठजोड़ था। जैसा कि आप जानते हैं कि बिहार विधानसभा में कुल सीटें 243 हैं। बहुमत का आंकड़ा 122 है। सभी एनडीए के पास 202 विधायक हैं। लेकिन बीजेपी का प्लान है कि नीतीश की जरूरत ही ना पड़े। तो 89 बीजेपी, 89 अपनी 19 लोजपा की, छह आरएलएम और पांच हम की और छह एआईएमएम की जोड़ के अपनी सरकार बनाना चाहते हैं।

एआईएमआईएम की बीजेपी से गुपचुप मुलाकातें

इसी कड़ी में एआईएमआईएम की बीजेपी से गुपचुप मुलाकातें हुई हैं। हालांकि जैसे ही इन मुलाकातों की फोटो वायरल हुई है तो एआईएमआईएम का नया बयान आया है। एआईएमआईएम ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष जो हैं और बिहार विधानसभा में फ्लोर लीडर अख्तरु ईमान ने कोचा धामन विधायक सिरवर आलम के साथ उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मुलाकात की है। उन्होंने किशनगंज जिले के कोचाधामन और बहादुरगंज अंचल में प्रस्तावित सैनिक स्टेशन के लिए चयनित भूमि पे पुनर्विचार की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है।

जन भावनाओं और सामाजिक सद्भाव से समझौता स्वीकार नहीं

यह प्रस्तावित भूमि कोचाधामन अंचल के सभिट्टा और कन्हैया बाड़ी मौजा और साथ में बहादुरगंज अंचल के शकोर और नटवापाड़ा मौजा में स्थित है। ज्ञापन में बताया गया है कि हर क्षेत्रों में धार्मिक स्थल सैकड़ों परिवारों कोसीय बस्तियां और पीढ़ियों से चल रही खेती पशुपालन प्रभावित हो सकते हैं। अखरो ईमान ने जानकारी दी है कि लगभग 250 एकड़ के इस क्षेत्र में ईदगाह, मस्जिद, कब्रिस्तान और घनी आबादी है। एक कारण ग्रामीणों में गहरी चिंता और जो है इसमें असंतोष व्याप्त है। उन्होंने जोर देके कहा कि जन भावनाओं और सामाजिक सद्भाव से समझौता स्वीकार नहीं होगा। मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने पूरे मामले को गंभीरता से सुना। उन्होंने संबंधित विभागों से यह समन्वय स्थापित करके उचित कारवाही का आश्वासन दिया है। हालांकि कहा जा रहा है कि अंदर खाने में कुछ और खेल चल रहा है। यह मुलाकात असल में अंदर खाने में चल रही बहुत बड़े खेल का हिस्सा है और कुछ लोगों ने यह भी दावा किया है कि इस बार एआईएमआईएम पे ऑपरेशन लोटस चलेगा।

एआईएमआईएम से मिलके बड़ा खेल करने की तैयारी

ऐसे में साफ है कुछ हो ना हो। लेकिन एक बात तो पूरी तरह से साफ है कि बीजेपी अंदर ही अंदर खेल शुरू कर चुकी है और गृह विभाग और स्पीकर का पद छीन जाने के बाद अब बीजेपी अपने सीएम का बड़ा दाव खेलने के चक्कर में है और नीतीश कुमार से पहले सम्राट खुद एआईएमआईएम से मिलके बड़ा खेल करने की तैयारी में है। पूरे मामले पर आपका क्या मानना है? क्या सम्राट चौधरी और अख्तरु ईमान की मुलाकात अंदर खाने के खेल की वजह से हुई है? सच में सैनिक छावनी के लिए अधिग्रहित हो रहे इलाके के मामले को लेके हुई है। क्या जिस तरीके से गुपचुप मुलाकात हुई है उससे एक बात साफ नहीं है कि बड़ा खेल होने की तैयारी शुरू हो गई है? क्या बीजेपी निशांत से बयान दिलवाने के साथ निशांत को राजनीति में लाके नीतीश को कमजोर कर देना चाहती है?

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