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The untold story behind धनखड़ Resignation: सेहत या सियासत
देर रात सोमवार को देश जब मानसून सत्र की गर्माहट के बाद सकून भरी सांस ले रहा था, तभी एक ब्रेकिंग न्यूज से सारे राजनीति गलियारे में हलचल मच गया। खबर आई कि भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jaideep dhankhar) ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपने त्यागपत्र में स्वास्थ समन्धित हवाला दिया। लेकिन इसकी पूरी सच्चाई क्या है? या इसके पीछे कोई और राज है जो अभी तक सामने नही आई। हो सकता है तस्वीर जल्द सामने आएगी। वैसे अटकलों का बाजार गर्म है। कहीं यह भाजपा आरएसएस की चाल तो नही?
इस्तीफे का आधिकारिक कारण
धनखड़ ने अपने दिए हुए इस्तीफे में साफ तौर पर कहा है कि वह “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने” के लिए इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने अपने त्याग पत्र में प्रधानमंत्री और सभी सांसदों को सहयोग देने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। धनखड़ ने कहा कि उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था और उपराष्ट्रपति के रूप में उनका अनुभव अमूल्य रहा। उन्होंने भारत के वैश्विक उदय पर गर्व जताया। लेकिन स्वास्थ सम्बन्धी समस्या के कारण त्याग पत्र देना पड़ रहा है।
क्यों उठ रहे हैं सवाल?
उनका इस्तीफा देना इतना अचानक था कि सारे लोग हैरान हो गए। इस इस्तीफे ने राजनीति गलियारे में कई सवाल खड़ा कर दिए हैं। उनका इस्तीफा स्वास्थ्य संबंधित मामले से कहीं ज्यादा दिख रहा है।
मानसून सत्र के पहले ही दिन धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि सत्र के पूरे दिन वह सदन में मौजूद रहे। स्वस्थ भी थे। उनके अचानक से दिए इस्तीफे ने विपक्ष के कई नेताओं ने सवाल उठाया और कहा कि अगर स्वास्थ सम्बंधित समस्या थी तो त्यागपत्र सत्र के पहले या बाद में भी दिया जा सकता था। कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने सवाल उठाते हुए कहा कि “सिर्फ एक घण्टे में ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने त्यागपत्र देने पड़ा?
समय का सवाल:
मानसून सत्र के पहले ही दिन धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि सत्र के पूरे दिन वह सदन में मौजूद रहे। स्वस्थ भी थे। उनके अचानक से दिए इस्तीफे ने विपक्ष के कई नेताओं ने सवाल उठाया और कहा कि अगर स्वास्थ सम्बंधित समस्या थी तो त्यागपत्र सत्र के पहले या बाद में भी दिया जा सकता था। कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने सवाल उठाते हुए कहा कि “सिर्फ एक घण्टे में ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने त्यागपत्र देने पड़ा?
अचानक फैसला:
धनखड़ ने एक हफ्ते पहले ही कहा था कि वह सही समय अगस्त 2027 में अवकाश लेंगे। ऐसे में अचानक लिया गया फैसला कई सवाल और अटकलों को जन्म देता है।
सियासी गलियारों में कानाफूसी:
धनखड़ का लिया गया यह फैसला भले ही आधिकारिक स्वास्थ्य कारण बताया हो, परंतु राजनीति और आम लोगों के बीच यह चर्चा आम हो रहा है कि इस त्यागपत्र के पीछे कोई और बड़ा कारण हो सकता है। धनखड़ का कार्यकाल विपक्ष के साथ टकराहट और अपने बेबाक बयानों के कारण चर्चा में भी रहा है। जिससे सत्ता पक्ष भी असहज दिखने लगती थी।
कार्यकाल पूरा न करने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले पहले उपराष्ट्रपति नहीं हैं, इसके पहले वीवी गिरी और भैरों सिंह शेखावत ने भी इस्तीफा दिया है। घनखड़ के त्यागपत्र देना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है। इनका कार्यकाल काफी चर्चित और लोगों के समझ से विवादस्पद रहा। इन्हें सत्ता का पिच्छलग्गु भी कहा गया। क्या सच में इनका त्यागपत्र देना वाकई स्वास्थ समन्धित था या कोई राजनीति पटकथा का हिस्सा है? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब वक्त आने पर मिल जाएगा। देश फिलहाल उनके त्यागपत्र देने के पीछे असली कारण जानने का इंतजार कर रहा है।
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