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Chirag Paswan की पार्टी को झटका: MLA नितेश कुमार सिंह की सदस्यता पर खतरा
बिहार में नई कैबिनेट बनी। चिराग पासवान (Chirag Paswan) की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को डिप्टी सीएम का पद नहीं मिला। ऊपर से अब बड़ा संकट। पूर्णिया जिले के कस्बा से विधायक नितेश कुमार सिंह की सीट पर तलवार लटक रही है। उनके चुनावी हलफनामे में गलत या अधूरी जानकारी का आरोप लगा है। ये मामला राजनीति को हिला सकता है। क्या होगा अगर उनकी सदस्यता रद्द हो गई?
पूर्णिया विधायक नितेश कुमार सिंह पर लगे गंभीर आरोप
नितेश कुमार सिंह पहली बार कस्बा विधानसभा सीट से जीते। वे चिराग पासवान की पार्टी से हैं। अब उन पर बड़ा आरोप है। उन्होंने नामांकन पत्र में झूठ बोला या बातें छिपाईं। ये विधायक पूर्णिया जिले से आते हैं। शिकायत मिलते ही हंगामा मच गया।
चुनावी हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप
नितेश सिंह ने हलफनामे में कोलकाता सीबीआई कोर्ट का केस नहीं बताया। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम कहता है। हलफनामा साफ-सुथरा होना चाहिए। गलत जानकारी दो तो अयोग्य घोषित हो सकते हो। क्या ये जानबूझकर छिपाया? ये सवाल उठ रहे हैं। लाखों वोटरों का भरोसा टूट सकता है।
शिकायतकर्ता और कानूनी कार्रवाई की शुरुआत
अधिवक्ता अनिल कुमार ने शिकायत की। उन्होंने निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखा। राज्य निर्वाचन आयोग और पूर्णिया जिला पदाधिकारी को भी भेजा। ये औपचारिक शिकायत है। कार्रवाई शुरू हो चुकी। अनिल कुमार पूर्णिया के वकील हैं। वे कहते हैं न्याय होगा।
चिट फंड घोटाले से जुड़ा कोलकाता सीबीआई मामला
मुख्य मुद्दा कोलकाता का चिट फंड केस है। नितेश सिंह पर करोड़ों का गबन का इल्जाम। सीबीआई कोर्ट में केस चल रहा। ये घोटाला बड़ा था। कई लोग फंस गए। विधायक ने इसे हलफनामे से छिपाया। क्या ये चोरी जैसा नहीं?
करोड़ों के गबन का आरोप और चार्जशीट की स्थिति
चिट फंड कंपनी के नाम पर धोखा दिया। करोड़ों रुपये गायब हुए। नितेश सिंह पर चार्जशीट हो चुकी। सीबीआई ने सबूत जुटाए। कोर्ट ने केस स्वीकार किया। ये पैसे आम लोगों के थे। निवेशकों ने खोया सब। विधायक की साख दांव पर है।
समन जारी होने के बावजूद जानकारी न देना
कोर्ट ने समन भेजा। नितेश सिंह को हाजिर होना था। फिर भी हलफनामे में कुछ नहीं लिखा। ये जानबूझकर किया। चुनाव के समय झूठ बोलना गुनाह है। वोटर क्या सोचेंगे? भरोसा कैसे बनेगा?
अनिल कुमार सदस्यता रद्द करवाना चाहते हैं। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी। पूर्णिया में अफसर सक्रिय हो गए। ये प्रक्रिया लंबी हो सकती। फैसला आने पर बड़ा असर पड़ेगा। क्या विधायक बच पाएंगे?
कानूनी आधार: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और अयोग्यता
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा साफ कहती। गलत हलफनामा तो छह साल अयोग्य। नामांकन अमान्य हो जाता। सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी हैं। कई विधायक फंस चुके। ये कानून मजबूत है। न्याय मिलेगा।
जिला पदाधिकारी ने हलफनामा चेक किया। सीबीआई रिकॉर्ड मंगाए। गवाहों से पूछताछ होगी। रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को जाएगी। समय लगेगा लेकिन कार्रवाई होगी। स्थानीय लोग निगाह रखे हैं। अपडेट जल्द आएंगे।
चिराग पासवान की पार्टी (LJP-R) पर राजनीतिक प्रभाव
चिराग पासवान को दोहरी मार। पहले डिप्टी सीएम न मिला। अब विधायक संकट में। LJP-R कमजोर दिख रही। बिहार विधानसभा में सीटें गिनी हैं। ये मामला पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा। विपक्ष हंस रहा।
कैबिनेट बनते ही झटका। अब ये स्कैंडल। पार्टी के कार्यकर्ता चिंतित। नितेश सिंह की सीट गई तो MLA कम। चिराग को नया उम्मीदवार ढूंढना पड़ेगा। आंतरिक कलह बढ़ सकता। एक केस ने सब बदल दिया।
भविष्य की राजनीति पर संभावित असर
अगले चुनाव नजदीक। ये खबर वायरल हो रही। LJP-R की इमेज खराब। वोटर सोचेंगे दो बार। चिराग पासवान को सफाई देनी पड़ेगी। गठबंधन में दरार आ सकती। बिहार की सियासत रोचक बनेगी। क्या पार्टी संभलेगी?
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