Vimarsh News
Khabro Me Aage, Khabro k Pichhe

SHAHANWAZ HUSSAIN: रेप मामले में बीजेपी दिग्गज शाहनवाज हुसैन के खिलाफ FIR का आदेश

SHAHANWAZ HUSSAIN: दिल्ली हाइकोर्ट की जस्टिस आशा मेनन ने पुलिस को लगाई फटकार

0 357

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

SHAHANWAZ HUSSAIN: दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी दिग्गज शाहनवाज हुसैन के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। ये आदेश 2018 में बीजेपी नेता पर लगे रेप के आरोपों को लेकर दिया गया। HC ने पुलिस से कहा कि पुलिस 3 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट निचली अदालत को सौंपे। जस्टिस आशा मेनन ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई थी। कहा कि उनका रवैया ढीला रहा है। इस बीच, शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।

SHAHANWAZ HUSSAIN: सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में शहनवाज ने कहा कि इस मामले की जल्द सुनवाई हो, लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस मामले पर विचार कर सकती है।

SHAHANWAZ HUSSAIN: बता दें कि दिल्ली की रहने वाली पीड़िता ने जनवरी 2018 में निचली अदालत में याचिका दायर की थी। इसमें बीजेपी दिग्गज शाहनवाज के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराने की अपील की गई थी। महिला का आरोप था कि उन्होंने छतरपुर फार्म हाउस में उसके साथ रेप किया और उसे जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता ने CrPC की धारा 156(3) के तहत दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

SHAHANWAZ HUSSAIN: मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट ने 12 जुलाई 2018 को शाहनवाज के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ उन्होंने रिवीजन पिटीशन लगाई थी। इसे खारिज कर दिया गया। अब शाहनवाज दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे थे, लेकिन यहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। हुसैन के खिलाफ जून 2018 में IPC की धारा 376, 328, 120B और 506 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी।

SHAHANWAZ HUSSAIN: हाइकोर्ट ने यह भी कहा कि FIR शिकायत में दर्ज अपराध की जांच का आधार है। जांच के बाद ही पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंच सकती है कि अपराध किया गया था या नहीं और अगर ऐसा है तो किसने किया है।

मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट यह निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र है कि अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार करना है या नहीं। या फिर मामले को आगे बढ़ाना है या यह मानना कि कोई मामला नहीं है। साथ ही वह शिकायतकर्ता की सुनवाई के बाद FIR रद करना चाहता है या नहीं।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -
Leave a comment
Off