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Shankaracharya swroopanand: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती नहीं रहे, आज समाधि

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Shankaracharya swroopanand: ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 98 साल की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में माइनर हार्ट अटैक आने के बाद अंतिम सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था।
Shankaracharya swroopanand: शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरू में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे। शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार 12 सितंबर को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।
Shankaracharya swroopanand: नरसिंहपुर स्थित झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली। आश्रम में उनके कमरे को अस्पताल के तौर पर व्यवस्थित किया गया था।
अब जानिए साधुओं को समाधि देने का तरीका। शैव, नाथ, दशनामी, अघोर और शाक्त परम्परा के साधु-संतों को भू-समाधि दी जाती है। भू-समाधि में पद्मासन या सिद्धि आसन की मुद्रा में बैठाकर भूमि में दफनाया जाता है। अक्सर यह समाधि संतों को उनके गुरु की समाधि के पास या मठ में दी जाती है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भी भू-समाधि उनके आश्रम में दी जाएगी।
Shankaracharya swroopanand: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता ने बचपन में इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। महज 9 साल की उम्र में इन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो काशी पहुंचे और यहां इन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पार्थिव देह पर चंदन लगाकर उनके शिष्य अंतिम श्रंगार करके अंतिम दर्शन के लिए रखेंगे।
जब 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का ऐलान हुआ तो स्वामी स्वरूपानंद भी आंदोलन में कूद पड़े। 19 साल की आयु में वह क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्हें वाराणसी में 9 महीने और मध्य प्रदेश की जेल में 6 महीने कैद रखा गया। जगदगुरु शंकराचार्य का अंतिम जन्मदिन हरितालिका तीज के दिन मनाया गया था।
शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे।
स्वामी स्वरूपानंद 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे। उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।
Shankaracharya swroopanand: शंकराचार्य स्वामी स्परूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि न्यास के नाम पर विहिप और बीजेपी को घेरा था। उन्होंने कहा था- अयोध्या में मंदिर के नाम पर बीजेपी-विहिप अपना ऑफिस बनाना चाहते हैं, जो हमें मंजूर नहीं है। हिंदुओं में शंकराचार्य ही सर्वोच्च होता है। हिंदुओं के सुप्रीम कोर्ट हम ही हैं। मंदिर का एक धार्मिक रूप होना चाहिए, लेकिन यह लोग इसे राजनीतिक रूप देना चाहते हैं जो कि हम लोगों को मान्य नहीं है।
पीएम नरेंद्र मोदी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक जताते हुए उनके अनुयायियों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएंगे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया- शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन को संत समाज की अपूर्णीय क्षति बताया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
Shankaracharya swroopanand: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने साईं को अमंगलकारी करार दिया था। जबलपुर के सिविक सेंटर में एक पत्रकार को थप्पड़ मार दिया था।

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