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Shri Nagchandreshwar temple: रात 12 बजते ही खुले उज्जैन महाकाल के श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट

24 घंटे बाद फिर बंद होंगे एक साल के लिए

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Shri Nagchandreshwar temple: उज्जैन महाकाल मंदिर परिसर में स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट ठीक 12 बजते ही खोल दिए गए। साल में एक दिन के लिए खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए लाखों लोग पहुंचते हैं। सोमवार का दिन होने से भक्तों की संख्या बढ़ेगी। रात 12.40 बजे आम दर्शन का सिलसिला शुरू होगा जो सोमवार रात 12 बजे तक चलेगा। रात से ही हजारों भक्त दर्शन की कतार में लग गए । प्रशासन का दावा है कि बेहतर इंतजाम व निरंतर चलायमान व्यवस्था से भक्तों को कतार में लगने के बाद एक घंटे में नागचंद्रेश्वर के दर्शन कराए जाएंगे।

Shri Nagchandreshwar temple: उज्जैन महाकाल मंदिर परिसर में स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट ठीक 12 बजते ही खोल दिए गए।

Shri Nagchandreshwar temple: श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी पर देशभर में नागपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए देश के कोने-कोने से काफी संख्या में श्रद्धालु भगवान नागचन्द्रेश्वर के दर्शन के लिए धार्मिक नगरी उज्जैन आ गए हैं। श्रावण सोमवार, नागपंचमी और आज निकलने वाली बाबा महाकाल की सातवी सवारी के विशेष संयोग पर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं।

 

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Shri Nagchandreshwar temple: श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट साल में एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खोले जाते हैं, जिन्हें रविवार रात 12 बजे विशेष पूजा-अर्चना के साथ आम भक्तों के लिए खोल दिया गया। इसके पहले भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर की त्रिकाल पूजा हुई। जिसमें श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत श्री विनितगिरि जी महाराज एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्टर एवं अध्यक्ष कुमार पुरुषोत्तम द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया गया। इसके बाद मंदिर में आम श्रद्धालुओं के दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ। जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से आए भक्तों ने भी भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन का लाभ लिया। 

 

Shri Nagchandreshwar temple: श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर प्रतिष्ठापित है। श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने 7 फनों से सुशोभित हो रहे हैं। साथ में शिव-पार्वती के दोनों वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित हैं। मूर्ति में श्री गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दांयी ओर कार्तिकेय की मूर्ति व ऊपर की ओर सूर्य-चन्द्रमां भी अंकित है। इस प्रकार श्री नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य एवं कलात्मकता का उदाहरण है। भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी मान्यता है कि उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

 

 Shri Nagchandreshwar temple: नागचन्द्रेश्वर मंदिर करीब 60 फीट की ऊंचाई पर है। पूर्व के समय में मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती थी। कारण है कि मंदिर के दरवाजे बहुत ही छोटे होने के साथ सीढ़ियों का रास्ता भी संकरा है और झुक कर जाना पड़ता था, जिससे एक समय में एक ही दर्शनार्थी दर्शन कर सकता था। वहां पहुंचने का अन्य रास्ता भी नहीं था, लेकिन करीब दो दशकों से देश के विभिन्न प्रांतों से आने वाले दर्शनार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अन्य दूसरा रास्ता लोहे की सीढ़ियों वाला निर्माण किया गया, ताकि अधिक दर्शनार्थी दर्शन लाभ ले सकें। इसके बाद मंदिर के स्ट्रक्चर की जांच के लिए आए केंद्रीय भवन अनुसंधान रूड़की के दल ने मंदिर से सटाकर लगे लोहे के चढ़ाव को हटाने के निर्देश दिए थे। जिससे मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर प्रभावित नहीं हो। इसके बाद 30 जून 22 को केंद्रीय भवन अनुसंधान रूड़की से अनुमति के बाद नया ब्रिज तैयार कर श्रद्धालुओ को दर्शन शुरू किए गए जिससे अब श्रद्धालुओं को आसानी से भगवान के दर्शन ही जाते हैं।

 

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आज सोमवार 21 अगस्त 2023 को ही श्री महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के पश्चात श्री नागचन्द्रेश्वर जी की पूजन-आरती श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा की जाएगी। 

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