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Gujarat Riots पर सिख नेता का दावा, 1984 के दंगों की तरह सरकार प्रायोजित नहीं

sikh leader claim on gujarat riots they are not government sponsored like 1984 riots
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सिख मामलों के जानकार और पूर्व राज्यसभा सांसद तरलोचन सिंह ने 2002 के गुजरात दंगों (Gujarat Riots) के दौरान नरेंद्र मोदी की भूमिका की सराहना की है। उन्हें ANI से बातचीत में कहा, साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड दंगा नरेंद्र मोदी ने संभाला वरना पूरा गुजरात ही जल जाना था। वह कहते हैं कि ट्रेन में जिंदा जले लोगों के शव उनके परिजन उनके गांव ले जाना चाहते थे, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने उनका अंतिम संस्कार वहीं करा दिया।

Gujarat Riots पर सिख नेता का दावा: दंगा जनता के गुस्से का परिणाम

तरलोचन सिंह के अनुसार, अगर यह शव उनके गांव में पहुँचते तो, सोचिए कि कितना गुस्सा होता और पूरा गुजरात ही जल जाता। लेकिन नरेंद्र मोदी ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि 2002 का दंगा जनता के गुस्से का परिणाम था, उसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। 2002 में गुजरात दंगों के के समय नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे। उस दंगे को लेकर भी उन पर कांग्रेस द्वारा आरोप लगाए जाते हैं।

2002 के दंगों के दौरान तरलोचन सिंह अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने कहा कि गुजरात का दंगा दिल्ली में हुए 1984 के दंगों की तरह सरकार प्रायोजित नहीं था। उन्होंने कह कि 2002 में मैं अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष था। तरलोचन सिंह ने कहा कि घटना होने के बाद सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में मै ही था। मैंने उसके बारे में पूछताछ की। कोई उसके बारे में नहीं जानता था।

गुजरात दंगों से दिल्ली के सिख दंगों की तुलना

मैं 2000 में अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बना था और गुजरात दंगा 2002 में हुआ। मैंने गुजरात दंगे पर एक बुकलेट भी लिखी है। उन्होंने कहा कि यह बुकलेट छपी भी थी और नरेंद्र मोदी ने इसकी 500 कॉपियां बट्वाई थीं। मैंने गुजरात दंगों से दिल्ली के सिख दंगों की तुलना से की थी। मैंने कहा था कि दिल्ली का दंगा सरकार प्रायोजित था, लेकिन गुजरात का दंगा जनता के गुसे की अभिव्यक्ति थी। उसके दंगे में सरकार या उसके किसी एक भी आयमी की भूगीक नहीं थी। मैंने अपनी जाँच में यह बात कही थी। तरलोचन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए बताया कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनका कार्य अत्यंत सराहनीय था।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि सभी मृतक कारसेवकों का अंतिम संस्कार वहीं किया जाए। अगर शव गांवों में भेजे जाते, तो स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है, इसकी कल्पना भी की जा सकती है। सिंह ने उल्लेख किया कि ऐसी परिस्थिति में पूरे गुजरात में गुस्सा फैल जाता, लेकिन नरेंद्र मोदी ने साहसिकता दिखाई और हालात को नियंत्रण में रखा। इसके परिणामस्वरूप, दंगे केवल अहमदाबाद और उसके आस-पास के क्षेत्रों तक सीमित रहे, और पूरे गुजरात में स्थिति नियंत्रण में रही।

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