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SIR controversy: विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
देश भर में SIR प्रक्रिया पर गुस्सा भड़क रहा है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं। विपक्ष चिल्ला रहा है, तो BLO भी अब चुनाव आयोग के खिलाफ खड़े हो गए। एक तरफ वोट कटने और चोरी के इल्ज़ाम। दूसरी तरफ BLOs पर बोझ से उनकी जान जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से जवाब मांगा। आयोग ने सफाई दी। लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। क्या ये मतदाता सूची साफ करने की कोशिश है, या चुनावी साजिश? आइए जानें पूरी कहानी।
SIR प्रक्रिया: विवाद की जड़ें और विपक्षी आरोप
SIR मतदाता सूची को साफ करने का तरीका है। लेकिन ये अब आग का गोला बन गया। लोग कहते हैं कि इससे लाखों वोट उड़ जाएंगे। विपक्ष इसे वोट चोरी बता रहा। BLOs की मेहनत पर सवाल उठ रहे। आयोग पर दबाव बढ़ता जा रहा।
वोट डिलीशन और मतदाता सूची की चोरी के आरोप
विपक्ष चीख-चीखकर कहता है। SIR से बड़े पैमाने पर वोट कट रहे। खासकर पश्चिम बंगाल में। वहां हज़ारों नाम गायब हो गए। लोग डर रहे हैं। उनका वोट उनका हक चला जाएगा। क्या ये साजिश है? कोई ठोस सबूत नहीं, लेकिन शोर मच गया। आयोग कहता है ये झूठा नैरेटिव। लेकिन गुस्सा कम नहीं हो रहा।
BLO (Booth Level Officers) पर अत्यधिक कार्यभार और दुखद परिणाम
BLOs नायक हैं। वे घर-घर जाकर नाम चेक करते। लेकिन काम का बोझ असहनीय। रात-दिन भागना पड़ता। कई BLOs की जान चली गई। दिल का दौरा, स्ट्रोक। परिवार बर्बाद। ये इंसानी कीमत बहुत भारी। आयोग को सोचना चाहिए। BLOs बिना चुनाव कैसे चलेगा? दर्द की ये कहानी सबको झकझोर रही।
विपक्षी दलों का मुखर विरोध और कानूनी चुनौतियाँ
विपक्ष एकजुट। कांग्रेस, TMC, AAP सब चिल्ला रहे। वे कहते हैं SIR गलत। कोर्ट में केस दायर। कई राज्य अपील कर चुके। चुनाव आयोग पर हमला। ये राजनीति है या हक की लड़ाई? सवाल वही। लेकिन आवाज़ तेज़ हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने बीच में कूद पड़ा। आयोग से कहा, जवाब दो। आयोग ने हलफनामा दाखिल किया। सफाई दी। आरोपों को ठहराया। अब बॉल कोर्ट में। क्या फैसला आएगा?
सुप्रीम कोर्ट में ECI द्वारा दाखिल किया गया हलफनामा
आयोग ने कोर्ट को कागज़ दिखाए। SIR जरूरी है। मतदाता सूची गंदी न रहे। विपक्ष के दावे झूठे। पश्चिम बंगाल में बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया। कोई सबूत नहीं। आयोग ने साफ कहा। हमारा काम संवैधानिक। हलफनामा पढ़ो, सब साफ।
आयोग ने सीधा कहा। ये राजनीतिक कहानी है। वोट डिलीशन के दावे हवा में। बड़े पैमाने पर कुछ नहीं हुआ। आंकड़े झूठे। बंगाल में शोर ज्यादा। लेकिन हकीकत कम। आयोग ने सबूत मांगे। विपक्ष चुप। ये खंडन बड़ा धमाका।
मतदाता सूची शुद्धिकरण: एक संवैधानिक अनिवार्यता
संविधान कहता है। सूची साफ रखो। SIR उसी का हिस्सा। फर्जी नाम हटाओ। असली वोटर बचे। भविष्य के चुनाव साफ। ये सजा नहीं, सुधार। आयोग का हक। बिना इसके लोकतंत्र लंगड़ा। समझो ये ज़रूरी दवा।
आयोग ने ऐलान किया। SIR पूरे देश में चलेगा। कोई छूट नहीं। राज्य रोक सकते हैं। लेकिन रुकेगा नहीं। कोर्ट में लड़ाई जारी। भविष्य क्या?
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