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Union Budget & Bihar: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बिहार को जितना दिया वो कम है

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Union Budget & Bihar: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया। इसमें बिहार के लिए 26000 करोड़ के पैकेज का भी एलान हुआ। मगर बिहार को जितना चाहिए उतना मिला नहीं है।

बिहार में बाढ़ नियंत्रण के लिए 11,500 करोड़ देने का एलान हुआ जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगा। खेतों की सिंचाई के लिए कोई अलग से बजट नहीं दिया गया। एक्सप्रेसवे योजना की बा कही गई।

इसके साथ ही कई विषयों पर बजट का एलान हुआ। बजट से रोजगार पैदा नहीं होंगे पर बेरोजगारी की समस्या को स्वीकार तो किया गया।

बजट के भाषण में पहली बार बिहार की बाढ़ समस्या का जिक्र हुआ। परंतु बहुत थोड़ी राशि 11, 500 करोड़ का आवंटन किया गया है।

इस राशि से बिहार में कहां क्या होगा यह जानना बजट प्रस्तावों से तो संभव ही नहीं है। बिहार सरकार की बाढ़ नियंत्रण की ऐसी कोई नीति या योजना नहीं है, जिससे
11,500 करोड़ रुपयों का सही सही उपयोग समझ में आए।

यह ठेकेदार लॉबी के लिए अभी एक प्रोत्साहन राशि है। और बिहार की नई बीमारी “एस्टीमेट घोटाला” के लिए भीसमर्थन राशि ही है।

बिहार ग्राम आधारित प्रदेश है। जनगणना में शहरी आबादी केवल 12% की थी।

किसान लगभग घाटे की खेती कर रहे हैं। और हाड़ मांस गला कर खेती पर निर्भर किसान वर्ग के लिए कुछ भी स्पष्ट घोषणा नहीं की गई।

नीतीश कुमार खुद अब हर खेत को सिंचित बनाने की अपनी ही बात को महत्व नहीं दे रहे हैं। हालांकि उन्होंने घोषणा की थी, कि 2025 तक बिहार के हर खेत को संचित बना देंगे।

बिहार की मांगों में कई शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट , कई हवाई अड्डे और कई मेडिकल कॉलेज रहे हैं। बिहार के

ग्रामीण विकास की अब तक की जो स्थिति है, उसको नजरअंदाज करके और खेतों के सिंचाई को नजरअंदाज करके राज्य सरकार कि यह भोली आकांक्षा ही है। और यह बाद बोल पन है।

कई शहरों के लिए खर्चीले मेट्रो प्रोजेक्ट पर ध्यान देने के पहले सरकार ने इसकी जरूरत का कोई सर्वेक्षण भी नहीं किया है। शहरी ट्रैफिक व्यवस्था के लिए आप लगभग कौवा हने वाले तरीके से चल रहे हैं और मेट्रो प्रोजेक्ट के अरमान पाल रहे हैं ।

बिहार के नदी जल नियोजन और नदी के अंदर के 10 प्रकार के संसाधनों का उपयोग बिहार की सबसे पहली जरूरत है। इसके लिए बेस्ट इंजीनियरिंग की आवश्यकता है। इसके पहले नदी बेसिन के आधुनिक शोध और नीति संस्थान की आवश्यकता है।

बिहार को केंद्र से मिले समर्थन पर दिल्ली केंद्रित बुद्धिजीवी। ईर्ष्या के साथ बात कर रहे हैं । परंतु बिहार खुद में , इस तरह की सहायता से अपनी विकास प्राथमिकता तय कर लेगा, इसमें संदेह है।

दक्षिण के राज्यों ने अपने विकास के लिए स्पष्ट सर्वेक्षण और प्राथमिकताएं बनाई है।
चंद्रबाबू नायडू ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद आंध्र प्रदेश के लिए अमरावती में राजधानी बनाने की शुरुआत की थी। इस शहर के लिए चंद्रबाबू नायडू ने जो पुनर्वास नीति बनाई है, उसमें यह है कि मुआवजा भी देंगे और राजधानी बनने तक प्रति माह जमीन मालिकों को सहायता के पर्स देंगे और अंत में उनकी जमीन पर बने भवनों के वाणिज्यिक कीमत का एक हिस्सा फिर से उन्हें देंगे।

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एक अंतराल के बाद दोबारा शासन में आए हैं। चंद्रबाबू नायडू के पास 15000 करोड़ रुपयों के उपयोग की जो प्रशासनिक क्षमता है, बिहार में उसका अभाव है। बक्सर के चौसा में थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए विशेष सहायता की मांग थी।

बिहार में बक्सर के चौसा के जिस थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए नीतीश सरकार भारी सहायता चाहती थी, उस परियोजना की वजह से चौसा के किसान दमन के शिकार ही हुए हैं।

थर्मल पावर का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि मुआवजा देने संबंधी विसंगति का विरोध कर रहे हैं। किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की जमीन गई है। उन्हें भारी ठगी और दमन का मुकाबला करना पड़ रहा है।

बजट में चौसा के लिए किसी समर्थन का ऐलान नहीं किया गया है। बजट प्रस्ताव में पिरपैती (दरभंगा)थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए सहायता की घोषणा हुई है। इस बजट प्रस्ताव से विपक्ष को थोड़ी निराशा हुई ।

परंतु डायरेक्ट टैक्स देने वाले असंतुष्ट रहे हैं। महंगाई की वजह से एक लाख रुपए आय वर्ग बढ़ाया गया। इनकम टैक्स के रूप में प्रत्यक्ष कर देने वालों को, वास्तव में निर्मला सीतारमण के बजट प्रस्तावों से कोई खास फायदा नहीं हुआ है।

पहले सालाना 3 से 6 लाख आमदनी वालों को 5% की दर से टैक्स देना पड़ता था। अब तीन से सात लाख वालों को 5% टैक्स देना पड़ेगा। और 7 से 10 लाख वालों को 10% । अगली सीमा 12 लाख है जिन्हें 15% और उसके बाद सीमा 15 लाख है जिन्हें 20% प्रत्यक्ष कर देना पड़ेगा।

केंद्र और राज्य सरकारों में जो गजेटेड पद पर हैं और जो प्राइवेट कंपनियों में थोड़ी तरक्की कर गए हैं, यदि उन सब की घोषित सालाना आमदनी 15 लख रुपए से अधिक है तो उन्हें 30% आए को आयकर के रूप में देना पड़ेगा। अगर टैक्स की बचत का टोटका इस्तेमाल न कर पाए, तो उनकी आमदनी में से 4. 5 लाख रुपया हर साल, प्रत्यक्ष कर के रूप में, सरकार के पास चला जाएगा। इस तरह इस वर्ग की नियमित आमदनी दो स्लैब नीचे वालों के बराबर ही रह जाएगी।

इससे आप समझ सकते हैं, कि भारत में प्रत्यक्ष कर बोझ बहुत बड़ी विसंगति लिए हुए हैं। बिहार पर कुछ बातें और समझने की है।

कहा गया कि बिहार को कुछ एयरपोर्ट और कुछ मेडिकल कॉलेज दिए जाएंगे। यह अभी तक बजट घोषणा की जगह चुनावी घोषणा की तरह ही है। विक्रमशिला में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने के प्रस्ताव को, बजट मान्यता नहीं मिली।

परंतु बिहार सरकार का सड़कों का जो रोलर चल रहा है, उस संदर्भ में इस बजट में बिहार स्पेसिफिक बातें हैं। जैसे बोधगया से राजगीर तक
एक्सप्रेस वे सड़क , बिहार में बना दूसरे फोर लेन सड़कों से भी ज्यादा शानदार होंगे। पटना पूर्णिया एक्सप्रेसवे भी शानदार बनेगा। वैशाली से दरभंगा तक भी एक्सप्रेसवे बनेगा।

सड़क की अन्य योजनाओं में गंगा एक्सप्रेसवे है भागलपुर को जोड़ने वाली सड़क है। बिहार सरकार को सड़कों के लिए 26,000 करोड रुपए की केंद्रीय बजट घोषणा दे दी गई है।

बिहार के लिए पूंजी निवेश किया गया है। और आंध्र प्रदेश के पुनर्संगठन के लिए बड़ी सहायता घोषित की गई है।

इनके अलावा ओडिशा और पश्चिम बंगाल का भी विशेष उल्लेख किया गया। अगले वीडियो प्रोग्राम में हम रोजगार और इंटर्नशिप योजनाओं की समीक्षा करेंगे।

union budget & bihar

  • सी ए प्रियदर्शी, जानेमाने लेखक और समाजसेवी

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