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Upendra Kushwaha के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाये जाने का हुआ खुलासा: पार्टी बचाने की राजनीतिक मजबूरी

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कल बिहार में सब हैरान रह गए। नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की। लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के बेटे दीपक प्रकाश का नाम था। वे न विधायक थे, न विधान परिषद के सदस्य। फिर भी सीधे मंत्री बन गए। शर्ट-पैंट पहनकर शपथ ले ली। कुर्ता-पाजामा सिलवाने का भी समय न मिला। अब उपेंद्र कुशवाहा ने खुद असली वजह बताई है। पार्टी को टूटने से बचाना मुख्य कारण है। हम इस लेख में सब विस्तार से समझाएंगे। क्या यह सिर्फ वंशवाद है, या राजनीतिक चाल?

उपेंद्र कुशवाहा के बेटे की मंत्री पद पर नियुक्ति: तत्काल प्रतिक्रियाएं और चौंकाने वाले तथ्य

शपथ ग्रहण के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। लोग पूछ रहे थे, बिना चुनाव लड़े कैसे मंत्री? राजनीतिक जानकार कहते हैं, यह बिहार की राजनीति में नया मोड़ है। दीपक प्रकाश की नियुक्ति ने विपक्ष को भी बोलने का मौका दिया।

दीपक प्रकाश राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं। वे अभी विधायक नहीं हैं। न ही एमएलसी बने हैं। फिर भी आरएलएम के कोटे से मंत्री पद मिला। संविधान कहता है, मंत्री को छह महीने में सदन का सदस्य बनना पड़ता है।

राजनीतिक गलियारों में शुरुआती हलचल

पटना के गांधी मैदान में गुरुवार को यह ड्रामा हुआ। नीतीश कुमार सबसे पहले शपथ ले। उसके बाद 25 अन्य मंत्रियों ने। दीपक प्रकाश भी लाइन में थे। शर्ट-पैंट में खड़े दिखे। सबको लगा, जल्दबाजी में तैयार हुए। समय कम था। शायद सूचना अचानक मिली।

बिहार की सियासत में सवाल उठे। क्या यह नेपोटिज्म है? आरएलएम छोटी पार्टी है। एनडीए में उनका कोटा सीमित। फिर भी बेटे को मंत्री बनाना बड़ा दांव। विपक्ष कहता है, योग्यता कहां? लेकिन समर्थक इसे रणनीति बताते हैं। हलचल अभी जारी है।

उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा खुलासा: पार्टी टूटने का डर और राजनीतिक अनिवार्यता

उपेंद्र कुशवाहा ने इंटरव्यू में साफ कहा। बेटे को मंत्री बनाना मजबूरी थी। सिर्फ योग्यता नहीं, पार्टी बचाना मुख्य वजह। राज्यसभा सांसद कुशवाहा ने पहली बार यह बात स्वीकार की। परिवार का सदस्य पद पर हो तो स्थिरता आती है।

उनकी पार्टी पहले कई बार टूटी। नुकसान बहुत हुआ। अब दीपक प्रकाश को मंत्री बनाकर वे सुरक्षित महसूस कर रहे। छोटी पार्टियों के लिए यह आम समस्या। कुशवाहा ने कहा, इससे नेता बिखरते नहीं।

परिवार के सदस्य को पद पर रखने की ‘सुरक्षा रणनीति’

कुशवाहा का तर्क सीधा है। परिवार का कोई व्यक्ति बड़ा पद संभाले तो बेईमानी का डर कम। पार्टी मजबूत रहती है। वे कहते हैं, बाहर वाले आते हैं तो चले जाते हैं। बेटा तो अपना ही। यह कवच जैसा काम करता है। कई पार्टियां ऐसा करती हैं।

  • फायदा 1: नेताओं का बिखराव रुकता है।
  • फायदा 2: संगठन एकजुट रहता है।
  • फायदा 3: लंबे समय तक स्थिरता मिलती है।
    अतीत की टूट-फूट: संगठन को हुए नुकसान का हवाला

2014 में रोसपा ने तीन सांसद जीते। दो बाद में चले गए। पार्टी कमजोर हो गई। 2015 के विधानसभा चुनाव में दो विधायक बने। वे भी जेडीयू में शामिल हो गए। कुशवाहा ने कहा, दोबारा खड़ा करना मुश्किल था।

ऐसे उदाहरण कई हैं। छोटी पार्टियां हमेशा खतरे में। कुशवाहा ने पुरानी बातें याद कीं। अब बेटे को पद देकर यही गलती दोहराना नहीं चाहते। पार्टी टूटेगी नहीं।

दीपक प्रकाश को मंत्री बनाने के पीछे दोहरे मानदंड: योग्यता बनाम राजनीतिक मजबूरी

कुशवाहा ने दो बातें कही। एक, दीपक की योग्यता। दूसरा, राजनीतिक जरूरत। क्षमता तो है ही। लेकिन मजबूरी बड़ी। छोटी पार्टियों को ऐसी चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं। स्थिरता सबसे जरूरी।

यह निर्णय मिश्रित है। योग्यता पर भरोसा, मजबूरी पर कदम। बिहार राजनीति में ऐसा होता रहता है।

दीपक प्रकाश मेहनती हैं। पिता ने इंटरव्यू में उनकी तारीफ की। क्षमता से काम लेंगे। मंत्री पद संभाल सकेंगे। लेकिन अकेले यही वजह नहीं। राजनीति में योग्यता के साथ चालाकी भी चाहिए।

कुशवाहा ने कहा, बेटा योग्य है। संगठन चला चुका। अब मंत्री बनाकर साबित करेंगे।

राजनीतिक परिस्थितियाँ और टूट-फूट रोकना

परिस्थितियां ऐसी बनीं। पार्टी को बचाना जरूरी। परिवार से पद देना सुरक्षित। छोटी पार्टियां टूटती ही हैं। बड़े दलों में शामिल हो जातीं। कुशवाहा नहीं चाहते ऐसा हो।

  • चुनौती 1: सांसद-विधायक छोड़ जाते।
  • चुनौती 2: संगठन दोबारा बनाना कष्टसाध्य।
  • समाधान: परिवार को जोड़ना।
    भविष्य की राह: दीपक प्रकाश को विधान परिषद (MLC) भेजने की योजना

दीपक अभी सदन के सदस्य नहीं। संविधान की बाध्यता है। छह महीने में एमएलसी या एमएलए बनें। वरना मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। सूत्र बताते हैं, जल्द विधान परिषद भेजा जाएगा।

एनडीए में सीट बंटवारा हुआ। भाजपा ने वादा किया। एक एमएलसी सीट कुशवाहा को। अब अमल होगा।

एमएलसी सीट का वादा और आगामी प्रक्रिया

भाजपा ने लिखित वादा किया। सीट बंटवारे में शामिल। दीपक को नामांकित करेंगे। प्रक्रिया तेज। शपथ के बाद जल्दी। बिहार विधान परिषद में जगह बनेगी।

संविधान अनुच्छेद 164 कहता है। मंत्री को आधे साल में सदस्य बनो। न मानो तो जाना पड़ेगा। दीपक पर दबाव। लेकिन योजना तैयार। सब ठीक रहेगा।

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