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Vikram Bhatt की गिरफ्तारी: महेश भट्ट के भाई पर 30 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

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विक्रम भट्ट (Vikram Bhatt), मशहूर फिल्ममेकर महेश भट्ट के भाई और आलिया भट्ट के चाचा, को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उन पर उदयपुर के एक व्यवसायी से करीब 30 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला सिर्फ फिल्म जगत से जुड़े एक नाम की गिरफ्तारी भर नहीं है, बल्कि ऐसे कथित फ्रॉड की कहानी है जिसमें फिल्मों में निवेश, फर्जी वेंडर और आम लोगों के बैंक खाते शामिल बताए जा रहे हैं।

इस लेख में आप जानेंगे कि गिरफ्तारी कहाँ हुई, एफआईआर में क्या आरोप हैं, जांच में अब तक क्या सामने आया है, और आगे की कानूनी प्रक्रिया कैसी दिख सकती है।

विक्रम भट्ट की गिरफ्तारी: मुख्य बातें एक नज़र में

घटना तेज़ी से हुई, लेकिन इससे जुड़े तथ्य काफ़ी गंभीर हैं। पहले मुख्य जानकारी को संक्षेप में देख लेते हैं।

  • संयुक्त टीम ने उन्हें मुंबई और राजस्थान पुलिस की मदद से पकड़ा।
  • उन पर 30 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।
  • शिकायतकर्ता हैं उदयपुर के व्यवसायी डॉ. अजय मुंडिया
  • पुलिस ने उन्हें मुंबई की यारी रोड स्थित गंगा भवन अपार्टमेंट से हिरासत में लिया।
  • गिरफ्तारी के समय वे अपनी भाभी के घर पर रह रहे थे।
  • राजस्थान पुलिस अब उन्हें उदयपुर ले जाने के लिए ट्रांज़िट रिमांड की मांग करेगी।

ये सब घटनाएँ कुछ ही दिनों के भीतर हुई हैं, इसलिए केस पर सबकी नज़र टिकी हुई है।

गिरफ्तारी कहाँ और कैसे हुई?

गिरफ्तारी का स्थान: यारी रोड का गंगा भवन अपार्टमेंट

पुलिस के मुताबिक, विक्रम भट्ट को मुंबई के यारी रोड स्थित गंगा भवन अपार्टमेंट से हिरासत में लिया गया। यहीं वे अपने भाई की पत्नी, यानी अपनी साली के घर पर रह रहे थे।

संयुक्त टीम ने पहले लोकेशन की पुष्टि की, फिर वहाँ पहुँचकर उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई ऐसे समय हुई जब उनके ख़िलाफ़ पहले से लुक आउट नोटिस जारी था।

संयुक्त कार्रवाई: मुंबई और राजस्थान पुलिस की टीम

इस मामले में मुंबई पुलिस और राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीम ने काम किया।

राजस्थान पुलिस के लिए यह केस महत्वपूर्ण है, क्योंकि शिकायत उदयपुर के एक व्यवसायी ने दर्ज कराई है। मुंबई पुलिस की मदद से आरोपी को पकड़ा गया, ताकि आगे कानूनी प्रक्रिया उदयपुर में पूरी की जा सके।

पुलिस के अगले क़दम

अब इस गिरफ्तारी के बाद प्रक्रिया कोर्ट में जाएगी। पुलिस की योजना कुछ इस तरह बताई गई है।

  • राजस्थान पुलिस ट्रांज़िट रिमांड की मांग करेगी।
  • यह रिमांड बांद्रा कोर्ट में मांगा जाएगा।
  • रिमांड मिलने के बाद पुलिस उन्हें उदयपुर ले जाएगी, जहाँ केस दर्ज है और आगे की जांच चलेगी।

ट्रांज़िट रिमांड का मतलब होता है कि एक राज्य की पुलिस, दूसरे राज्य से किसी आरोपी को अपने राज्य की अदालत में पेश करने के लिए कानूनी अनुमति लेती है। यह किसी भी इंटर-स्टेट गिरफ्तारी में ज़रूरी प्रक्रिया मानी जाती है।

एफआईआर की पृष्ठभूमि: मामला कहाँ से शुरू हुआ?

पूरे केस की शुरुआत एक एफआईआर से हुई, जो उदयपुर में दर्ज कराई गई थी।

एफआईआर के मुताबिक, शिकायतकर्ता डॉ. अजय मुंडिया का आरोप है कि फिल्मों में निवेश के नाम पर उनसे भारी रकम ली गई और फिर उस पैसे का गलत इस्तेमाल किया गया।

एफआईआर दर्ज होने की तारीख भी साफ़ है, जो आगे की टाइमलाइन समझने में मदद करती है।

  • तारीख: 17 नवंबर
  • स्थान: उदयपुर
  • शिकायतकर्ता: डॉ. अजय मुंडिया, व्यवसायी
  • आरोपित: कुल आठ लोग, जिनमें विक्रम भट्ट का नाम भी शामिल है

एफआईआर दर्ज होते ही मामला सिर्फ एक सामान्य आर्थिक विवाद नहीं रहा, बल्कि धोखाधड़ी के गंभीर आपराधिक आरोपों में बदल गया।

शिकायत किसने दर्ज कराई?

डॉ. अजय मुंडिया: उदयपुर के व्यवसायी

इस मामले में शिकायतकर्ता हैं डॉ. अजय मुंडिया, जो उदयपुर के एक व्यवसायी बताए गए हैं। उनका आरोप है कि उनसे लगभग 30 करोड़ रुपये फिल्मों में निवेश के नाम पर लिए गए।

इन पैसों को कथित तौर पर एक फिल्म, खासकर आरोपी की पत्नी की बायोपिक, और कुछ अन्य फिल्मों के प्रोजेक्ट के लिए दिखाया गया। शिकायत के अनुसार, पैसे का सही उपयोग नहीं हुआ, बल्कि उसे एक जाली नेटवर्क के ज़रिए वापस घुमाया गया।

आरोपित धोखाधड़ी की कहानी: फिल्मों में निवेश से फर्जी वेंडर तक

एफआईआर और शुरुआती जांच से जो तस्वीर सामने आ रही है, वह गंभीर है। आरोप यह है कि फिल्मों में बड़े निवेश का सपना दिखाकर पैसा जमा किया गया, और फिर उस पैसे को फर्जी वेंडर के नाम पर इधर-उधर घुमाया गया।

फिल्मों में निवेश का लालच

आरोप है कि:

  • निवेश पत्नी की बायोपिक पर बनने वाली फिल्म के नाम पर लिया गया।
  • इसके साथ कुछ अन्य फिल्मों में निवेश की बात भी कही गई।
  • रकम इतनी बड़ी थी कि यह सिर्फ छोटे खर्चों के लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रोजेक्ट निवेश जैसा दिखाया गया।

फिल्म उद्योग में अक्सर बड़े बजट, स्टारकास्ट और ग्लैमर का इस्तेमाल निवेश आकर्षित करने में किया जाता है। इस केस में भी शिकायतकर्ता का दावा है कि उन्हें फिल्मों से जुड़े प्रोजेक्ट दिखाए गए और भरोसा दिलाकर पैसे लिए गए।

भुगतान की कहानी: फर्जी वेंडर और पैसे की वापसी

जांच के शुरुआती नतीजों में जो बात सामने आई, वह और भी चौंकाने वाली है। आरोप है कि:

  • फिल्म से जुड़े अलग-अलग वेंडर दिखाकर उन्हें पेमेंट किया गया।
  • ये पेमेंट काग़ज़ों में प्रोडक्शन खर्च, सर्विस या काम के नाम पर दिखाए गए।
  • पर जब पुलिस ने खोजबीन की, तो कई वेंडर असल में सामान्य कामगार निकले।

जांच में सामने आया कि जिनके नाम पर लाखों रुपये के पेमेंट दिखाए गए, उनमें से कई:

  • पेंटर थे
  • मज़दूर थे
  • रिक्शा चालक थे

इनमें से कई लोगों के खातों में पैसा आया और फिर वापस विक्रम भट्ट की पत्नी के खाते में चला गया, ऐसा आरोप है। यानी, पेमेंट तकनीकी रूप से अलग-अलग लोगों को दिखाया गया, लेकिन अंत में पैसा वापस उसी परिवार के खाते में लौटता दिखा।

जांच में सामने आए नाम: आम लोग, बड़े भुगतानों के साथ

शुरुआती जांच के आधार पर स्थिति को समझने के लिए इसे एक सरल तालिका में देख सकते हैं।

कथित वेंडर की श्रेणीजांच में क्या सामने आया
पेंटरफिल्म वेंडर दिखाए गए, असल में रोज़मर्रा के पेंटर
मज़दूरप्रोडक्शन से जुड़े सप्लायर के रूप में दिखाए गए
रिक्शा चालकउनके खाते से पैसा आगे भेजा गया, रकम उनकी आमदनी से बहुत ज़्यादा

इस तरह का पैटर्न आमतौर पर मनी रूटिंग या हेरफेर के मामलों में देखने को मिलता है, जहाँ कई छोटे खातों के ज़रिए पैसा एक ही सोर्स पर वापस पहुँचा दिया जाता है। यहाँ आरोप है कि रकम घूमकर वापस भट्ट की पत्नी के खाते में चली गई।

विक्रम भट्ट का दावा और पुलिस की सख़्त कार्रवाई

एक और अहम बात यह है कि इस पूरे मामले में एक समय पर लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया था। इसके बावजूद, विक्रम भट्ट ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए खुद को निर्दोष बताया था।

उन्होंने सार्वजनिक रूप से खुद को बेगुनाह बताया था, लेकिन अब पुलिस ने उन्हें इस बड़े फ्रॉड केस में गिरफ्तार कर लिया है। इससे साफ है कि जांच एजेंसियों ने मामले को हल्के में नहीं लिया।

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