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Bihar elections में वोट चोरी का खेल शुरू! स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी बंद से वोट चोरी के आरोप

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आपका वोट सुरक्षित है या नहीं, यह सवाल आपके दिमाग में घूम रहा है। बिहार के वैशाली जिले में हाजीपुर के स्ट्रांग रूम में रात के अंधेरे में कुछ ऐसा हुआ, जो सबको चिंतित कर रहा है। आरजेडी ने एक वीडियो शेयर किया है। इसमें दिखाया गया है कि सीसीटीवी कैमरे एक-एक करके बंद हो जाते हैं। फिर आधी रात को एक पिकअप वैन अंदर घुसती है और बाहर निकल जाती है। यह सब देखकर लगता है, चुनाव की ईमानदारी पर सवाल खड़े हो गए हैं। लोग सोच रहे हैं, क्या वोट चोरी का खेल चल रहा है? हम सबके लिए यह दर्दनाक है, क्योंकि लोकतंत्र की बुनियाद पर भरोसा टूटे तो क्या बचेगा?

आरोपों का उदय: हाजीपुर स्ट्रांग रूम घटना का विस्तार
परेशान करने वाला वीडियो सबूत सामने आया

आरजेडी ने जो वीडियो शेयर किया, वह बेहद डरावना है। इसमें कई विधानसभाओं के सीसीटीवी कैमरे बारी-बारी से बंद होते दिखते हैं। यह कोई संयोग नहीं लगता। रात के समय यह होना और भी शक पैदा करता है। हम समझ सकते हैं, मतदाता कितने परेशान होंगे। उनकी मेहनत का फल चोरी हो जाए, तो दुख कैसा होगा?

वीडियो में साफ दिखता है, कैमरे एक के बाद एक ऑफ हो जाते हैं। यह प्रक्रिया रुक-रुक कर चलती रहती है। विशेषज्ञ कहते हैं, स्ट्रांग रूम में 24 घंटे निगरानी जरूरी है। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। यह कमी लोगों के दिल में डर भर देती है। हम सब चाहते हैं कि चुनाव निष्पक्ष हों।

आधी रात का घुसपैठ: पिकअप वैन की गतिविधि

आधी रात को पिकअप वैन का आना-जाना सबसे बड़ा सवाल है। कैमरे बंद होने के बीच यह वैन स्ट्रांग रूम के अंदर घुसी। फिर बाहर निकल गई। कोई पहचान नहीं बताई गई। यह देखकर लगता है, कुछ गड़बड़ है। सुरक्षा के मानकों के मुताबिक, रात में कोई वाहन बिना चेक के नहीं घुस सकता। लेकिन यहां ऐसा हुआ।

मान लीजिए, अगर कैमरे चालू रहते, तो शायद यह वैन पकड़ी जाती। अब सवाल यह है, वैन में क्या था? ईवीएम से छेड़छाड़? हम empathize करते हैं उन लोगों से, जो सोच रहे हैं उनकी आवाज दबाई जा रही है। यह घटना चुनाव की सुरक्षा पर सवाल उठाती है। बिहार जैसे राज्य में, जहां राजनीति गर्म रहती है, ऐसी बातें चिंता बढ़ाती हैं।

सुरक्षा प्रोटोकॉल में वाहनों की सख्त जांच होती है। लेकिन हाजीपुर में यह फेल हो गया। लोग पूछ रहे हैं, जिम्मेदार कौन? यह सिर्फ एक जिले की बात नहीं, पूरे बिहार चुनाव पर असर डाल रही है।

जवाबदेही और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया की जांच
राजनीतिक दलों से पारदर्शिता की मांग

आरजेडी ने चुनाव आयोग से साफ जवाब मांगा है। उन्होंने वीडियो के साथ शिकायत दर्ज की। कहा कि इस लापरवाही की सफाई दो। हम देखते हैं, विपक्षी दल कितने गंभीर हैं। वे चाहते हैं, हर वोट सुरक्षित रहे। यह मांग जायज है। बिना पारदर्शिता के भरोसा कैसे बनेगा?

चुनाव के बाद स्ट्रांग रूम की निगरानी महत्वपूर्ण होती है। अगर कैमरे बंद हों, तो संदेह बढ़ता है। आरजेडी ने आयोग को पत्र लिखा। उम्मीद है, जल्दी कार्रवाई हो। राजनीतिक विश्वास के लिए यह जरूरी है। हम सबको लगता है, ऐसी मांगों का सम्मान होना चाहिए।

जानकारी में देरी का सवाल: ज्ञानेश कुमार का जिक्र

45 दिनों बाद भी ज्ञानेश कुमार से सीसीटीवी फोटो नहीं मिले। यह देरी क्यों? सवाल उठ रहा है। चुनाव डेटा जल्दी देना नियम है। लेकिन यहां विलंब हुआ। यह पारदर्शिता को कमजोर करता है। लोग सोचते हैं, छिपाने की कोशिश तो नहीं?

कानूनी तौर पर, निगरानी रिकॉर्ड तुरंत उपलब्ध कराने पड़ते हैं। देरी से शक बढ़ता है। ज्ञानेश कुमार जैसे अधिकारी जवाब दें। हम empathize करते हैं मतदाताओं से। उनकी चिंता वाजिब है। अगर समय पर जानकारी मिले, तो भरोसा मजबूत होता।

यह देरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़ी करती है। बिहार में पहले भी ऐसी शिकायतें आई हैं। अब समय है सुधार का।

चुनावी विश्वास और सुरक्षा चिंताओं का ऐतिहासिक संदर्भ
ईवीएम और बूथ सुरक्षा विवादों के पूर्व उदाहरण

भारत में चुनावों में वोट छेड़छाड़ के आरोप पुराने हैं। कई बार स्ट्रांग रूम डेटा पर झगड़े हुए। मतदाता संशय में रहते हैं। बिना ठोस सबूत के ये डर रह जाते हैं। हम समझते हैं, यह लोकतंत्र के लिए दुख की बात है।

ऐसे विवादों से निष्पक्षता पर असर पड़ता है। “इज्जत का सवाल” जैसी भावनाएं उबhar आती हैं। मां-बहन का जिक्र आता है, तो गुस्सा बढ़ता है। ऐतिहासिक रूप से, मजबूत सुरक्षा से भरोसा बनता है। बिना इसके, लोकतंत्र कमजोर होता है।

सामान्य थीम्स जैसे वोटर स्केप्टिसिज्म हमें सतर्क रखते हैं। हर चुनाव में ये सवाल दोहराते हैं। समय है, सबक लेने का।

स्ट्रांग रूम सुरक्षा के सर्वोत्तम उपाय

स्ट्रांग रूम में बैकअप पावर जरूरी है। सीसीटीवी कभी बंद न हों। ईसीआई और दलों के पर्यवेक्षक रहें। पहुंच का लॉग रखा जाए। ये बुनियादी कदम हैं। अगर लागू हों, तो चोरी का डर कम होता।

स्वतंत्र पर्यवेक्षक आंतरिक सुरक्षा से बेहतर होते हैं। वे निष्पक्ष रहते हैं। गलत काम रोकते हैं। बिहार जैसे राज्यों में ये प्रोटोकॉल सख्त होने चाहिए। हम चाहते हैं, हर मत सुरक्षित हो।

  • सीसीटीवी के लिए डबल बैकअप।
  • 24/7 पर्यवेक्षण।
  • वाहनों की सघन चेकिंग।

ये टिप्स अपनाने से विश्वास बढ़ेगा।

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