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Voter list revision विवाद: सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु, बंगाल, केरल की SIR प्रक्रिया रोकने की मांग

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सुप्रीम कोर्ट में एक बड़ा विवाद चल रहा है। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल ने चुनाव आयोग की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को चुनौती दी है। यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट (Voter list revision) को अपडेट करने से जुड़ी है। राज्य कहते हैं कि यह तरीका सही नहीं। चुनाव आयोग का मानना है कि राजनीतिक दल डर का माहौल बना रहे हैं। यह लड़ाई चुनावों की ईमानदारी पर सीधी असर डालेगी। क्या आपकी वोटर लिस्ट सही बनेगी? आइए जानें कोर्ट की ताजा सुनवाई के बारे में।

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही: बेंच के निर्देश और मुख्य तारीखें

चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमालिया बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। यह बेंच चुनावी मामलों में महत्वपूर्ण फैसले ले चुकी है। इनकी नजरें वोटर लिस्ट की साफ-सुथरी प्रक्रिया पर हैं। बेंच ने सभी पक्षों को मौका दिया है। यह सुनिश्चित करेगी कि कोई गलती न हो। राज्य और केंद्र दोनों को जवाब देना होगा।

केरल की याचिका और तुरंत जवाब की समयसीमा

केरल सरकार की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र और राज्य चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। केरल का कहना है कि SIR प्रक्रिया में खामियां हैं। इससे लाखों वोटर बाहर हो सकते हैं। कोर्ट इस पर गौर करेगा। राज्य को मजबूत सबूत देने होंगे। यह समयसीमा सख्त है।

पश्चिम बंगाल की याचिका और ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करने की तारीख

पश्चिम बंगाल की याचिका पर सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। उसी दिन चुनाव आयोग राज्य की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करेगा। सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि अगर राज्य मजबूत आधार दे तो तारीख बढ़ा सकते हैं। बंगाल में वोटर लिस्ट पर आपत्तियां आ सकती हैं। कोर्ट इसे देखेगा। यह फैसला पूरे राज्य के चुनाव प्रभावित करेगा। ड्राफ्ट लिस्ट में गलतियां सुधारने का मौका मिलेगा।

तमिलनाडु की याचिका की समय-सारिणी

तमिलनाडु की याचिका पर 4 दिसंबर को सुनवाई होगी। हर राज्य को अलग-अलग तारीख मिली है। यह तरीका व्यवस्थित रखता है। तमिलनाडु भी SIR पर सवाल उठा रहा है। कोर्ट सभी तथ्यों की जांच करेगा। इससे चुनावी प्रक्रिया मजबूत बनेगी। राज्य उम्मीद कर रहे हैं कि कोर्ट उनके पक्ष में फैसला दे।

चुनाव आयोग का बचाव: डर फैलाने के आरोप

चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल SIR प्रक्रिया पर जानबूझकर डर का माहौल बना रहे हैं। उनका मानना है कि यह सामान्य अपडेट है। राज्य इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं। ECI ने साफ कहा कि प्रक्रिया पारदर्शी है। कोर्ट में यह दलील मजबूती से रखी गई। इससे विवाद बढ़ा है।

विवादास्पद SIR प्रक्रिया को समझें (स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव रिवीजन)

SIR मतदाता सूची को विशेष तरीके से जांचने की प्रक्रिया है। चुनाव आयोग पुरानी लिस्ट साफ करता है। नकली वोटर हटाए जाते हैं। राज्य कहते हैं कि इससे असली वोटर प्रभावित होंगे। ECI का कहना है कि यह जरूरी कदम है। पहले भी ऐसी रिवीजन हुई हैं। लेकिन इस बार तेजी से हो रही है। क्या यह चुनाव बदल देगी?

राज्य चिंताएं: मतदाता सूची संशोधन मुद्दों पर गहराई से विश्लेषण
केरल, बंगाल और तमिलनाडु द्वारा उठाई गई विशिष्ट शिकायतें

ये राज्य कहते हैं कि SIR में गलत डेटा हटाया जा रहा है। महिलाओं और गरीबों के नाम कट सकते हैं। विधि में पक्षपात है। केरल ने कहा कि लाखों वोटर लिस्ट से गायब हो जाएंगे। बंगाल में भी यही शिकायत। तमिलनाडु का डर है कि चुनाव प्रभावित होंगे। राज्य मजबूत सबूत दे रहे हैं। कोर्ट सब सुन रही है।

वोटर डेटा सटीकता पर संभावित प्रभाव

SIR से वोटर लिस्ट साफ हो सकती है। लेकिन गलतियां हो सकती हैं। असली वोटर वोट न दे पाएं तो लोकतंत्र कमजोर पड़ेगा। सटीक लिस्ट जरूरी है। पहले चुनावों में ऐसी समस्याएं आईं। अब कोर्ट बीच में है। इससे निष्पक्षता बनी रहेगी। आपका वोट सुरक्षित रहेगा।

राज्यों का मुख्य डर यह है कि SIR से वोटर संख्या घट जाए। उदाहरण के लिए, केरल में 2 करोड़ से ज्यादा वोटर हैं। गलत हटाव से असर पड़ेगा। बंगाल में भी करोड़ों प्रभावित। तमिलनाडु आने वाले चुनावों को लेकर चिंतित। ECI कहता है कि ड्राफ्ट पर आपत्ति दर्ज कराएं। लेकिन राज्य समय कम बता रहे। यह जंग जारी है।

चुनावी कानून में कानूनी परिणाम और पूर्व उदाहरण

लोग प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत ECI को शक्तियां हैं। लेकिन कोर्ट इसकी समीक्षा कर सकता है। पहले मामलों में कोर्ट ने हस्तक्षेप किया। जैसे 2019 में वोटर लिस्ट विवाद। अब SIR पर नजर। न्यायिक समीक्षा लोकतंत्र बचाती है। बेंच फैसला लेगी कि प्रक्रिया सही है या नहीं।

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करने के लिए आकस्मिक योजना

ECI ड्राफ्ट लिस्ट पर आपत्तियों के लिए तैयार है। सीजेआई ने कहा कि मजबूत आधार पर तारीख बढ़ेगी। राज्य योजना बना रहे। आपत्ति दर्ज करने का समय मिलेगा। इससे वोटर लिस्ट बेहतर बनेगी। कोर्ट की यह बात राहत है। चुनाव आयोग को सतर्क रहना होगा।

इससे पहले भी ECI ने रिवीजन की। लेकिन राज्य विरोध कर रहे। कानूनी लड़ाई से समय लगेगा। लेकिन लोकतंत्र मजबूत होगा। वोटरों को फायदा मिलेगा। कोर्ट का रुख सकारात्मक है।

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