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Assembly Bypoll Results: बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सहित सात राज्यों की कुल 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में इंडिया गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की है। उधर, बीजेपी दो ही सीटें जीत सकी है।
बता दें कि 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में बीजेपी को करारी हार मात मिली है। लोकसभा चुनाव के बाद फिर से इंडिया अलायंस का दबदबा देखने को मिला। इन 13 सीटों में से 4-4 कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने जीती हैं। जबकि दो सीटें बीजेपी के पास गईं। एक सीट निर्दलीय ने जीती।
बिहार की रुपौली विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने आरजेडी और जेडीयू के उम्मीदवारों को हार का स्वाद चखाकर बड़ी जीत हासिल की।
तमिलनाडु में इंडिया गठबंधन की डीएमके को एक सीट मिली है। पंजाब की जालंधर पश्चिम सीट पर आम आदमी पार्टी को विजय मिली है।
बीजेपी ने एमपी और हिमाचल प्रदेश की एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है। गौर करें तो चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों से इंडिया अलायंस गदगद रहा है और अब एक महीने के बाद विधानसभा उपचुनाव के नतीजों में भी इंडिया अलायंस के दल बीजेपी पर हावी रहे हैं।
देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में बीजेपी को दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। अयोध्या के बाद बीजेपी एक और धार्मिक स्थल बद्रीनाथ हार गई। यहां पर कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने बीजेपी के राजेंद्र भंडारी को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। जबकि उत्तराखंड की मंगलौर विधानसभा सीट भी कांग्रेस के कब्जे में गई।
उपचुनाव के नतीजों को देखने से साफ है कि लोकसभा चुनाव का असर अब भी देश में देखने को मिल रहा है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिस तरह के लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे, उससे विपक्षी दल को काफी बूस्ट मिला है। विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेता फ्रंटफुट पर हैं।
इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के बाद नेता विपक्ष राहुल गांधी ने संसद में जोरदार भाषण दिया। इसके ्लावा राहुल ने कुछ ही दिनों के भीतर उन्होंने गुजरात, यूपी, मणिपुर जैसे राज्यों के एक के बाद एक दौरे किए। इससे कांग्रेस सहित विपक्षी दलों में नई ताजगी आई।
गौर करें तो बीते 10 सालों में एक के बाद एक हार विपक्ष को नसीब हो रही थी, वह ट्रेंड एक ही लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बदल दिया है।
इसी वज़ह से माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव में भी लोकसभा चुनाव के नतीजों का प्रभाव देखने को मिला। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी भले ही हमीरपुर सीट जीतने में कामयाब रही हो, लेकिन देहरा, नालागढ़ सीटें गंवा दी हैं।
यूपी में कांग्रेस और सपा गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करके उत्तर भारत में वापसी की उम्मीद बनाई थी, वह उत्तराखंड और हिमाचल के उपचुनाव के नतीजों के बाद भी कायम रखी है।
कई राज्यों में स्थानीय कारण भी बीजेपी की हार की वजह बने हैं। जैसे उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट पर बीजेपी की हार के पीछे कई स्थानीय वजहें मानी जा रही हैं। ऑल वेदर रोड जैसी विकास परियोजनाओं, पुरोहितों की नारागजी भाजपा को भारी पड़ी है।
इसी तरह से उत्तराखंड में भी विकास प्रोजेक्ट्स के लिए पेड़ों व जंगलों का काटे जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं।
वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आए शीतल अंगुराल को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर शीतल आम आदमी पार्टी से विधायक थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान वे बीजेपी में शामिल हो गए थे।
चुनावी नतीजों से साफ है कि आप से बीजेपी में शीतल का जाना जनता को पसंद नहीं आया और उन्होंने आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट मोहिंदर भगत को जीत दिलवा दी।
उत्तराखंड और बिहार को छोड़ दें तो बाकी सभी राज्यों में जिस दल की सरकार है, वहां उसके कैंडिडेट की जीत हुई है। मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर बीजेपी के कमलेश प्रताप शाह ने कांग्रेस को करीबी मुकाबले में हराया है।
मध्य प्रदेश में अभी बीजेपी की सरकार है और यह राज्य लंबे अरसे से भगवा दल का गढ़ रहा है। वहीं, पंजाब की एकमात्र उपचुनाव वाली जालंधर वेस्ट सीट में आम आदमी पार्टी की जीत हुई है। यहां भी पिछले दो साल से ज्यादा वक्त से ‘आप’ की सरकार है।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने क्लीन स्वीप किया है। यहां टीएमसी सभी चारों सीटें जीत गई है। हालांकि, उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी कांग्रेस दोनों सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई है।
उधर, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार है और यहां की तीन सीटों में कांग्रेस ने दो और बीजेपी ने एक पर जीत दर्ज की है। बिहार की बात करें तो रुपौली विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने आरजेडी और जेडीयू के उम्मीदवारों को हराते हुए बड़ी जीत हासिल की।